आपके जीवन में सदा सुख, समृद्धि और शान्ति का वास हो !
मित्रों ,
जिस प्रकार पुराना पानी निकास न पाकर दूषित हो जाता है उसी प्रकार पुरानी भावनाएं और यादें भी निकासी मार्ग न पाकर दूषित हो जाती हैं और हमारे तन-मन-धन - जीवन सबको हानि पहुंचाती हैं. विगत वर्ष हम सब जिस अनुभव से गुजरे हैं वह दुखदायी और परामर्शदायी दोनों ही है. यह समय दुःख में डूबकर सुधबुध खोने का नहीं अपितु चुनौती को स्वीकारकर आगे बढ़ने का है.
नव वर्ष यूँ तो मानव निर्मित काल खंड मात्र है परन्तु यह दिवस एक अवसर प्रदान करता है विगत ३६५ दिनों की हमारी उपलब्धि और कमियों पर एक स्पष्ट दृष्टि डालने का ताकि हमारे कार्य में जो कमी रह गई है उसे सुधारा जा सके. यह मूल्यांकन हमे व्यक्तिगत जीवन में सफलता प्रदान करता है परन्तु आज समय की आवश्यकता है कि हम अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियों तक ही न सीमित हो जाएँ अपितु स्वयं को राष्ट्र को समर्पित कर देवें.
आक्रोश और निराशा दोनों ही नकारात्मक उर्जाएं हैं जो जीवन को अधिक कष्टप्रद बना देती हैं अतः प्रयास करें कि मन में आ रहे आक्रोश और निराशा के भावों को जोश और जाग्रति में बदल कर उन्नत समाज की स्थापना में हम अपना योगदान दें. ऐसे अवसर पर जबकि सभी अपनी समाज को उपेक्षित करने की गलती को भूलकर सरकार को कोस रहे हैं , मुझे मिर्ज़ा ग़ालिब याद आ रहे हैं.
उम्रभर ग़ालिब यही भूल करता रहा
धूल चेहरे पर थी आइना साफ़ करता रहा
भारत की वर्तमान कुव्यवस्था के दोषी मात्र वे नहीं जिन्होंने धन, सत्ता और बाहुबल का दुरुपयोग किया अपितु हम सभी हैं जिन्होंने ऐसा होने दिया. अब ऐसा आगे न हो इसके लिए आवश्यक है कि हम अपने मन रुपी कुसुम को निर्बाध पल्लवित होने दें और उसकी सुगंध से सारी वसुंधरा महका दें. किसी को शत्रु मान किया जाने वाला कार्य अल्पकालीन फल देगा अतः प्रतिज्ञा लें कि हम अपने जीवन को व्यर्थ नहीं जाने देंगे. अपने सपने पूरे करेंगे और देश के काम आयेंगे. इस राह में कोई बाधा आए तो उससे लोहा लेंगे और अब पीछे नहीं देखेंगे क्योंकि जीवन आगे बढ़ता है पीछे नहीं.
नव वर्ष की आप सभी को मंगल कामनाएँ !
जिस प्रकार पुराना पानी निकास न पाकर दूषित हो जाता है उसी प्रकार पुरानी भावनाएं और यादें भी निकासी मार्ग न पाकर दूषित हो जाती हैं और हमारे तन-मन-धन - जीवन सबको हानि पहुंचाती हैं. विगत वर्ष हम सब जिस अनुभव से गुजरे हैं वह दुखदायी और परामर्शदायी दोनों ही है. यह समय दुःख में डूबकर सुधबुध खोने का नहीं अपितु चुनौती को स्वीकारकर आगे बढ़ने का है.
नव वर्ष यूँ तो मानव निर्मित काल खंड मात्र है परन्तु यह दिवस एक अवसर प्रदान करता है विगत ३६५ दिनों की हमारी उपलब्धि और कमियों पर एक स्पष्ट दृष्टि डालने का ताकि हमारे कार्य में जो कमी रह गई है उसे सुधारा जा सके. यह मूल्यांकन हमे व्यक्तिगत जीवन में सफलता प्रदान करता है परन्तु आज समय की आवश्यकता है कि हम अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियों तक ही न सीमित हो जाएँ अपितु स्वयं को राष्ट्र को समर्पित कर देवें.
आक्रोश और निराशा दोनों ही नकारात्मक उर्जाएं हैं जो जीवन को अधिक कष्टप्रद बना देती हैं अतः प्रयास करें कि मन में आ रहे आक्रोश और निराशा के भावों को जोश और जाग्रति में बदल कर उन्नत समाज की स्थापना में हम अपना योगदान दें. ऐसे अवसर पर जबकि सभी अपनी समाज को उपेक्षित करने की गलती को भूलकर सरकार को कोस रहे हैं , मुझे मिर्ज़ा ग़ालिब याद आ रहे हैं.
उम्रभर ग़ालिब यही भूल करता रहा
धूल चेहरे पर थी आइना साफ़ करता रहा
भारत की वर्तमान कुव्यवस्था के दोषी मात्र वे नहीं जिन्होंने धन, सत्ता और बाहुबल का दुरुपयोग किया अपितु हम सभी हैं जिन्होंने ऐसा होने दिया. अब ऐसा आगे न हो इसके लिए आवश्यक है कि हम अपने मन रुपी कुसुम को निर्बाध पल्लवित होने दें और उसकी सुगंध से सारी वसुंधरा महका दें. किसी को शत्रु मान किया जाने वाला कार्य अल्पकालीन फल देगा अतः प्रतिज्ञा लें कि हम अपने जीवन को व्यर्थ नहीं जाने देंगे. अपने सपने पूरे करेंगे और देश के काम आयेंगे. इस राह में कोई बाधा आए तो उससे लोहा लेंगे और अब पीछे नहीं देखेंगे क्योंकि जीवन आगे बढ़ता है पीछे नहीं.
नव वर्ष की आप सभी को मंगल कामनाएँ !
बहुत सही बात कही आपने।
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
सादर
नव वर्ष की असीम शुभ कामनाएँ यशवंत जी !
Deleteसहमत
ReplyDeleteआपको नया वर्ष मुबारक
धन्यवाद महेंद्र जी
Deleteनए वर्ष की मंगल कामनाएँ स्वीकार करें !
बहुत सार्थक पोस्ट.
ReplyDeleteयहाँ पर आपका इंतजार रहेगाशहरे-हवस
धन्यवाद !
Deleteनए वर्ष की मंगल कामनाएँ स्वीकार करें !
बहुत ही सार्थक सन्देश। सही बात है कि हमें नकारात्मक, कष्टप्रद ऊर्जा से विन्यास ले, सकारात्मकता का आह्वान करना चाहिए। जो कुछ स्वयं से बन पड़े वही करना बेहतर है।
ReplyDeleteशुभकामनाएं आपको भी।
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♥सादर वंदे मातरम् !♥
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आवश्यक है कि हम अपने मन रुपी कुसुम को निर्बाध पल्लवित होने दें
और उसकी सुगंध से सारी वसुंधरा महका दें
बहुत सुंदर विचार हैं !
आदरणीया नूर नीरव जी
अच्छा है आपका ब्लॉग ...
आपकी कुछ पुरानी प्रविष्टियां पढ़ कर भी अच्छा लगा ।
नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ ही
हार्दिक मंगलकामनाएं …
लोहड़ी एवं मकर संक्रांति के शुभ अवसर के लिए !
... और शुभकामनाएं आने वाले सभी उत्सवों-पर्वों के लिए !!
:)
राजेन्द्र स्वर्णकार
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aapka bahut bahut dhanyavaad Rajendra ji !
DeleteKhushi hui jaankar ki apko rachnayen achchhi lagin .