एकता में शक्ति है
पाकिस्तान के सैनिक स्कूल में हुए बच्चों के नृशंस हत्याकांड ने पूरी दुनिया को हिला दिया है। सबके मन में एक ही प्रश्न है कि बच्चों को निशाना क्यों बनाया गया ? क्या हासिल हुआ ये रक्तरंजित खेल खेलकर इन हत्यारों को ? क्या इनके बच्चे महफूज़ हो गए इस कत्लेआम से ?
पेशावर में हुई इस घटना के दो पहलू सामने आ रहे हैं - पहला, कि यह एक बदलवार हमला था और दूसरा, कि आतंकियों के हौसले बढ़ गए हैं। यदि हम पहले पहलू को देखें तो पाएंगे कि तालिबान सही कह रहा है। ड्रोन हमले में अनेक बेगुनाह मारे गए हैं और इसमें तालिबानों के निर्दोष बच्चे भी शामिल हैं। इन बच्चों को मारना भी किसी प्रकार से सही नहीं ठहराया जा सकता है। परन्तु इस दयनीय दशा के लिए तालिबान स्वयं दोषी है। इसलिए जहाँ तालिबान दुनिया की ओर एक उंगली कर रहा है वहीँ उसकी ओर अनेक उंगलियां उठा रही हैं। इस घटना का दूसरा पहलू पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बन गया है। सभी प्रमुख विश्व सम्मेलनों में भर्त्स्ना होने और अनेकानेक आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद आतंकवाद की विषबेल तेजी से फलफूल रही है। इसका कारण है आतंकवादियों पर स्वार्थी निर्मम सत्तासीन लोगों का वरदहस्त होना। ये शक्तिशाली सुमुखि साम दाम दंड भेद धर्म अधर्म हर नीति का पालन करते हुए तालिबानियों के शैतान आकाओं को हर सुविधा मुहैया कराते हैं।
इस घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए पूरे विश्व को एक होना होगा। सभी प्रमुख मंचों जैसे यू एन, डब्ल्यू टी ओ , आई एम ऍफ़ , जी - ट्वेंटी , सार्क , ब्रिक्स आदि पर सभी देश एक दूसरे से साथ चलने का और आतंकवाद से नीतिपूर्वक निपटने का वादा करें। इसके लिए कुछ प्रमुख बिन्दुओं पर ध्यान देना होगा जैसे -
१] सभी देश एक साथ इन आतंकी संगठनों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाएं।
२] आवश्यक सूचना साझा करें।
३] आर्थिक प्रतिबन्ध लगाकर इन संगठनों पर लगाम लगाएं।
४] इन संगठनों के नेट पर बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए इंटरनेट पर लाइसेंस प्रक्रिया शुरू की जाए। प्रत्येक संगठन और इसके सदस्यों का पूरा डेटा मेन्टेन किया जाए।
५] अपने पडोसी देशों से बेहतर रिश्ते बनाए और पड़ोसियों के खिलाफ साजिश करने वाले संगठनों के प्रमुखों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए।
६] एक विश्व पुलिस या विश्व सेना तैयार की जाए जो अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस हो। ताकि समस्त आतंकवादी संगठनों से एक होकर लड़ा जा सके।
आतंकवाद दरअसल एक व्यक्ति एक सोच नही है अपितु पूरे विश्व में फैले विकृत मानसिकता के लोगों की अलग अलग समय पर उपजी सोच और कार्यवाही है। इस विषबेल को उखाड़ने के लिए वैसे ही प्रयास करने होंगे जैसे श्रीलंका ने लिट्टे का समूल नाश किया था। इस समस्या से निजात पाना है तो समस्त धर्मों , विचारों , सरकारों और शांतिप्रिय लोगों को सेना और पुलिस के साथ खड़ा होना होगा।
पेशावर में हुई इस घटना के दो पहलू सामने आ रहे हैं - पहला, कि यह एक बदलवार हमला था और दूसरा, कि आतंकियों के हौसले बढ़ गए हैं। यदि हम पहले पहलू को देखें तो पाएंगे कि तालिबान सही कह रहा है। ड्रोन हमले में अनेक बेगुनाह मारे गए हैं और इसमें तालिबानों के निर्दोष बच्चे भी शामिल हैं। इन बच्चों को मारना भी किसी प्रकार से सही नहीं ठहराया जा सकता है। परन्तु इस दयनीय दशा के लिए तालिबान स्वयं दोषी है। इसलिए जहाँ तालिबान दुनिया की ओर एक उंगली कर रहा है वहीँ उसकी ओर अनेक उंगलियां उठा रही हैं। इस घटना का दूसरा पहलू पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बन गया है। सभी प्रमुख विश्व सम्मेलनों में भर्त्स्ना होने और अनेकानेक आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद आतंकवाद की विषबेल तेजी से फलफूल रही है। इसका कारण है आतंकवादियों पर स्वार्थी निर्मम सत्तासीन लोगों का वरदहस्त होना। ये शक्तिशाली सुमुखि साम दाम दंड भेद धर्म अधर्म हर नीति का पालन करते हुए तालिबानियों के शैतान आकाओं को हर सुविधा मुहैया कराते हैं।
इस घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए पूरे विश्व को एक होना होगा। सभी प्रमुख मंचों जैसे यू एन, डब्ल्यू टी ओ , आई एम ऍफ़ , जी - ट्वेंटी , सार्क , ब्रिक्स आदि पर सभी देश एक दूसरे से साथ चलने का और आतंकवाद से नीतिपूर्वक निपटने का वादा करें। इसके लिए कुछ प्रमुख बिन्दुओं पर ध्यान देना होगा जैसे -
१] सभी देश एक साथ इन आतंकी संगठनों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाएं।
२] आवश्यक सूचना साझा करें।
३] आर्थिक प्रतिबन्ध लगाकर इन संगठनों पर लगाम लगाएं।
४] इन संगठनों के नेट पर बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए इंटरनेट पर लाइसेंस प्रक्रिया शुरू की जाए। प्रत्येक संगठन और इसके सदस्यों का पूरा डेटा मेन्टेन किया जाए।
५] अपने पडोसी देशों से बेहतर रिश्ते बनाए और पड़ोसियों के खिलाफ साजिश करने वाले संगठनों के प्रमुखों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए।
६] एक विश्व पुलिस या विश्व सेना तैयार की जाए जो अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस हो। ताकि समस्त आतंकवादी संगठनों से एक होकर लड़ा जा सके।
आतंकवाद दरअसल एक व्यक्ति एक सोच नही है अपितु पूरे विश्व में फैले विकृत मानसिकता के लोगों की अलग अलग समय पर उपजी सोच और कार्यवाही है। इस विषबेल को उखाड़ने के लिए वैसे ही प्रयास करने होंगे जैसे श्रीलंका ने लिट्टे का समूल नाश किया था। इस समस्या से निजात पाना है तो समस्त धर्मों , विचारों , सरकारों और शांतिप्रिय लोगों को सेना और पुलिस के साथ खड़ा होना होगा।
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