महामृत्युंजय मंत्र - एक अनुभव 🙏
मेरे चालीसेक वर्षीय भैया कोमा में थे। चाचाजी के आँसू नहीं रुक रहे थे। भाभी और बच्चे सब परेशान ... एक ऐसी मनोदशा से गुजर रहे थे जिसे.. न लिखा जाएगा ..। मैं चाचाजी के सामने गई ही थी कि सुपर कठोर वाणी वाली चाची मेरा हाथ पकड़कर धुआँधार रोने लगीं। कैसे चुप कराऊँ उन्हें मेरे समझ नहीं आया फिर भी संयत होकर बैठी रही। चाची बोलीं " बस स्टैंड वाले पंडित जी महामृत्युंजय मंत्र का जाप बिठा रहे हैं घर में। हम तो कुछ कर नहीं सक रहे । " ....(महामृत्युंजय..!!!...... ऊँ त्र्यम्बकं वाला... ? .. ये जाप तो मैंने दुर्ग में एक बस में सुना था.... अच्छा लग रहा था बहोत्त .... )
मैंने चाचीजी का हाथ पकड़कर ढाँढस बँधाया .. "कोई बात नहीं चाची... मैं हूँ न... मैं घर में जाप करुँगी .. जितना विधी विधान से कर पाऊँ। " हमारी टूट चुकी चाचाजी की आवाज थोड़ी ठीक हुई.." हाँ बेटा... तू कर ।"
हमारे घर में एक तुलसी की माला है जो 108 मनके फेरने पर चमत्कारी ढंग से मन मैं सात्विक भाव और अक्षुण्ण शांति के भाव भर देतीहै। उसे लेकर मैं भगवान शिव को मन में धरकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने लगी। जाप करते करते तीसेक मनके फेरी होंगी कि लगा ...जैसे ...भैया कह रहे हैं कि .. अब मैं आराम करना चाहते हूँ। बचपन से इन्ट्यूशन तेज रहे हैं मेरे तो ....भैया को सुन भी ली और समझ भी गई .. 😔 अब वो और नहीं लड़ना चाहते थे 😑
सत्तर के करीब मनके बाकी थे। सो जाप करती रही। पता नहीं कब और कैसे विश्व के 'एकम' रूप में प्रवेश कर गई......नीरव.... शांत.... स्टिल..................
ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।
ऊर्वारूकमिव बंधनाय मृत्योर्मुक्षीय अमामृतात ।।
विश्व में हर पल कुछ न कुछ घट रहा है एक व्यवस्थित क्रम में। सृजन और विध्वंस ऊर्जा के एक रूप से दूसरे रूप में निरंतर परिवर्तनशील हैं। एक शांत यंत्र है यह ब्रह्मांड जिसकी उत्पत्ति और सृष्टि मंत्र/ ध्वनि पर आधारित है (ऐसा वेद पुराणों में और गुरुओं द्वारा बताया गया है)। गुरुओं ने कहा है तो सही ही होगा इस निष्कर्ष पर पहुँच गई हूँ क्यूँकि आधे रास्ते तक तो मैं केवल आज्ञाकारिता और मूढ़ता के संयोजन से पहुंची हूँ। और ... इतना अनुभव काफी है यह समझने को कि बाकि भी सही ही बताया जा रहा होगा... 👍
हे भक्तों !
दूध, शहद, जलादि शिवलिंग को ही चढ़ाएँ। अगर न चढ़ा पाएं तो भी मंत्र तो बोल ही सकते हैं मन में .. क्या परेशानी है ? 😊
🙏🙏🙏
ऊँ नम: शिवाय 📿
🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸
मैंने चाचीजी का हाथ पकड़कर ढाँढस बँधाया .. "कोई बात नहीं चाची... मैं हूँ न... मैं घर में जाप करुँगी .. जितना विधी विधान से कर पाऊँ। " हमारी टूट चुकी चाचाजी की आवाज थोड़ी ठीक हुई.." हाँ बेटा... तू कर ।"
हमारे घर में एक तुलसी की माला है जो 108 मनके फेरने पर चमत्कारी ढंग से मन मैं सात्विक भाव और अक्षुण्ण शांति के भाव भर देतीहै। उसे लेकर मैं भगवान शिव को मन में धरकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने लगी। जाप करते करते तीसेक मनके फेरी होंगी कि लगा ...जैसे ...भैया कह रहे हैं कि .. अब मैं आराम करना चाहते हूँ। बचपन से इन्ट्यूशन तेज रहे हैं मेरे तो ....भैया को सुन भी ली और समझ भी गई .. 😔 अब वो और नहीं लड़ना चाहते थे 😑
सत्तर के करीब मनके बाकी थे। सो जाप करती रही। पता नहीं कब और कैसे विश्व के 'एकम' रूप में प्रवेश कर गई......नीरव.... शांत.... स्टिल..................
ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।
ऊर्वारूकमिव बंधनाय मृत्योर्मुक्षीय अमामृतात ।।
विश्व में हर पल कुछ न कुछ घट रहा है एक व्यवस्थित क्रम में। सृजन और विध्वंस ऊर्जा के एक रूप से दूसरे रूप में निरंतर परिवर्तनशील हैं। एक शांत यंत्र है यह ब्रह्मांड जिसकी उत्पत्ति और सृष्टि मंत्र/ ध्वनि पर आधारित है (ऐसा वेद पुराणों में और गुरुओं द्वारा बताया गया है)। गुरुओं ने कहा है तो सही ही होगा इस निष्कर्ष पर पहुँच गई हूँ क्यूँकि आधे रास्ते तक तो मैं केवल आज्ञाकारिता और मूढ़ता के संयोजन से पहुंची हूँ। और ... इतना अनुभव काफी है यह समझने को कि बाकि भी सही ही बताया जा रहा होगा... 👍
हे भक्तों !
दूध, शहद, जलादि शिवलिंग को ही चढ़ाएँ। अगर न चढ़ा पाएं तो भी मंत्र तो बोल ही सकते हैं मन में .. क्या परेशानी है ? 😊
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ऊँ नम: शिवाय 📿
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Bhaiya thik nhi huye kya? Ye to bta hi deti aap
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