पुरानी जींस

कितना प्यारा समय था जब तीनों सहेलियां खिलखिलाते हुए एक कोल्डड्रिंक के तीन भाग कर लेती थीं। वो मनचला फिर से सहेली को न छेड़े इसलिये लिंक रोड का सीधा रास्ता छोड़ विद्या नगर के लंबे रास्ते से सायकिल से घर जाती थीं। सहेली के कहने पर समोसे की जगह ब्रेड पकौड़े ले लेती थे।

त्याग की पराकाष्ठा देखिए, साथ मिल जाए इस चक्कर में आमिर की जगह सलमान की फिल्म देख आते थे।  पानी पीने जाते समय बारिश से पहले नल तक पहुंचने की दौड़ लगाते थे। तू गणित समझा मैं इतिहास समझा दूँगी बड़े कॉन्फिडेंस से बोलते थे।

रईसी यहीं तक नहीं थी .. असली ठसक तो तब होती जब सहेली की मम्मी हमारे पसंद के पकवान त्योहारों में विशेष रूप से हमारे लिए बचाकर रखतीं और दो - दो तीन - तीन बार प्यार से एक्स्ट्रा खिलातीं।

लगता है भगवान ने ओल्ड स्कूल फैक्टरी बंद कर दी है। अब घर की जगह हॉटल है, खीर की जगह केक, लाड़ प्यार की जगह डीजे है मतलब ... माया ही  जगत है और प्रेम है मिथ्या।

लिंक रोड, बस एड्रेस नहीं है .. पुरानी यादों का लिंकिंग पुल भी है। जब भी निकलो यहाँ से बचपन चहकता दिख ही जाता है।


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