भारत रत्न का खेल



वाह रे जनतंत्र मेला है रंगबिरंगा. कोई भगवा रंगा तो कोई नीला रंगा और सब मिलकर हो गए काला.मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का कहना है कि अन्ना संसद को ना कोसे, बल्कि चुनाव जीतकर राजनीति में आयें. फिर ही देश के भले की कोई बात कहें. कांग्रेस पार्टी ने बाबा रामदेव के साथ देश का धन विदेश से लाने के लिए अहिंसक विरोध कर रहे लोगों पर रात को लाठियां चलवाईं. कांग्रेस को राजबाला और उनके गुरु किसी सम्मान के काबिल नहीं दिखते हैं परन्तु देश हित पर कभी कुछ न बोलने वालों को पद्मश्री और संसद की मानद सदस्यता दी जाती है.


दिल्ली के उपचुनावों में मिली हार के कारण अब जाकर केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश को बस्तर दौरे की याद आई है. आनन्-फानन में राहुल गाँधी भी प्रदेश का दौरा करके गए पर लेश मात्र भी किसी को प्रभावित नहीं कर पाए. बस एक ही बात का रोना रोते गए " गुटबाजी बंद करिए तभी कांग्रेस जीतेगी" . हम इन नेताओं से क्या उम्मीद करें कि विश्व स्तर पर और घरेलू स्तर पर ये हमें उचित नेतृत्व दे पाएंगे.


छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार स्वास्थ्य मंत्रालय की गड़बड़ियों की वजह से हमेशा आलोचना की शिकार होती है. कभी यहाँ मोतियाबिन्द का ओपरेशन थोक में लोगों की दृष्टि छीन लेता है तो कभी कुंवारी लड़कियों तक के गर्भाशय बिना किसी कारण निकाल दिए जाते हैं. परन्तु कांग्रेस जनता के लिए खड़े होने की बजाये आपसी गुटबाजी करती दिखती है. हालांकि कभी-कभी सरकार को घेरने का स्वांग भी किया जाता है ताकि आलाकमान की नज़रों में जगह बने रहे.


छत्तीसगढ़ राज्य की सबसे प्रमुख समस्याएँ हैं - कृषि का पिछड़ापन, बेरोजगारी, प्रतिभा का पलायन, बढती अराजकता और नक्सली समस्या. राज्य सरकार इन समस्याओं से निपटने के लिए कुछ ख़ास रणनीति नहीं बना पाई है परन्तु कमजोर विपक्ष के कारण रमन सरकार की सभी कमियां बदस्तूर जारी हैं. ऐसे हालात में यह जरूरी होगा कि राज्य की जनता स्वयं इन कमियों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करे. छत्तीसगढ़ का विकास के मामले में बिहार के बाद दूसरा स्थान बताया गया है जो कि सत्य नहीं प्रतीत होता. मजदूरों का पलायन, गुमशुदा बच्चों की बढती संख्या, पुलिस का अपराध रोक पाने में असफल होना, बेरोजगारी बढ़ना, भ्रष्टाचार बढ़ना इंगित करता है कि राज्य केवल आंकड़ों में आगे बढ़ा है न कि वास्तविकता में. प्रदेश की जनता पक्ष और विपक्ष दोनों की निष्क्रियता से त्रस्त है पर क्या करें ? सब जनतंत्र के मेले में अपना तमाशा बनते देख रहे हैं पर कब तक ?


आप बाबा रामदेव और अन्ना हजारे से सहमत हों या नहीं, आपके पास देश चलाने के लिए दिल्ली मेट्रो के पूर्व प्रमुख ई.श्रीधरन जैसे कुशल नेता नहीं हैं. ऐसे में बाबा रामदेव को संपत्ति के लिए और अन्ना को उनके सहयोगियों के लिए कोसने की बजाय हमें उनका साथ देना चाहिए और अपने स्तर पर खुद नेता बन देश के लिए काम करना चाहिए. इस देश में एक खिलाड़ी को भारत रत्न देने के लिए नियम बदले जाते हैं और देश के साधू-संत रात में लाठी खाते हैं. कुछ अभागे संत तो गंगा की पवित्रता बचाए रखने के लिए उपवासे ही दम तोड़ देते हैं. अब आप ही तय करें आगे की रणनीति. हमारे देश की राजनीति तो जंग खा गई है.


हमारे देश की जनता ही भारत रत्न है न कि कोई एक व्यक्ति विशेष जो अपने क्षेत्र में पारंगत है. मिट्टी में सोना उगाने वाला किसान भारत रत्न है, पिछड़ों की आवाज बनने वाले अनाम सरदार भारत रत्न हैं, चिड़ियों को निःस्वार्थ भाव से दाना डालने वाले भारत रत्न हैं, देश की रक्षा करने वाले सैनिक भारत रत्न हैं. इन्हें कम ना आंकें बल्कि इनकी ताकत से देश चलता है जानें.

Comments

  1. कैसी विडम्बना है ...राजनेता गुलाब के जैसे हो गये जो सिर्फ फूलता है फलता नहीं...(वादे भर करते है ) समाज सेवक आम के जैसे है ,फूलते भी है और फलते भी है (कहते भी है और करते भी है ) ... और जो इस देश की आजादी के साथ विलुप्त हो गये स्वतंत्रता सेनानी कटहल की तरह केवल फलते ही थे सिर्फ राष्ट्र के लिये कुछ करने में ही विश्वास हुआ करता था. कब तक इस तरह से शव परिक्षण करते रहे अब वक्त है एक आम नागरिक का जागरूक होने का और कटहल के जैसा बर्ताब दिखाने का...

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  2. Replies
    1. दुखद स्तिथि है संजय जी .
      लेख पढने और उसपर टिपण्णी देने का शुक्रिया !
      सादर !

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