जीवन की जीत और 'एक मौत' की हार
सोच रही थी कि कसाब के बारे में कुछ न लिखूंगी ... बोर हो गए हैं - टी वी , नेट और मोबाईल हर जगह कसाब - कसाब से . पर आज कसाब की चाचीजी ने उकसा ही दिया कुछ बोलने को .
टी वी पर खबर सुनते ही चीख निकल गई " कसाब को फांसी हो गई ..." , बताइए , पता ही नही चला। मुझे कुछ ख़ास अच्छा नही लगा कसाब का मरना . पता नही क्यों ... मुझे यह भी हिंसा ही लगी शायद इसलिए। ऐसा विचार कसाब के मृत दोस्तों के लिए नही आया क्योंकि उन्हें कमाण्डो और पुलिस ने हमले के वक्त ही मार दिया था। तो कसाब के मरने का क्या ग़म ... शायद इतने दिन तक उसके बारे में पढ़ कर, उसके परिवार, उसकी बेरोजगारी के बारे में पढ़कर उससे सहानुभूति हो गई थी मुझे।
विश्व के 127 देशों ने अपने देश में फाँसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। भारत में भी फाँसी की सजा ' दुर्लभतम में दुर्लभ सिद्धांत ' के आधार पर दी जाती है। स्वतंत्र भारत में अभी तक 54 लोगों को फाँसी की सजा दी गई है और लगभग 100 मामले ऐसे हैं जिनमे फाँसी की सजा दी जाए की नही पर विचार हो रहा है। कसाब के मरते ही टी वी में उन लोगों का साक्षात्कार आने लगा जो 26/11 के हमले में हताहत हुए थे। वो दृश्य ... हमला . . . पुलिस अधिकारीयों की शहादत की ख़बरें ..... हल्ला .... धुंआ .... उफ्फ्फ ... ! क्या समझ कर ये आतंक फैला रहे थे भारत में ... कि मजा आएगा .... और क्या प्राप्त किया जा सकता है इस नृशंसता से ? चाचीजी , बताइए ज़रा .. क्या भला हुआ पाकिस्तान का इस हमले से ? क्या भला हुआ कसाब का इस हमले से ? आपने अपने भतीजे के अंतिम क्षणों में उसका साथ दिया अच्छी बात है परन्तु उसे ये दिन ना देखने पड़ते यदि आपने उसे भला-बुरा सिखाया होता। 'मौत' बना दिया उसे .. और जब वो मर गया अपनी करनी से ... तो हमें दुश्मन बना दिया।
वहीँ पकिस्तान में एक आशा की किरण चमकी है मलाला युसुफजई के नाम से . कितनी प्यारी बच्ची है . उसे देखकर लगता ही नही कि जिस तालिबान से आपके देश के बड़े-बड़े नेता काँप जाते हैं वह बच्ची नही डरती . कहती है " मैं पढना चाहती हूँ , भले ही मुझे पढने के लिए टेबले-कुर्सी न मिले, जमीन पर बैठना पड़े पर मैं पढूंगी ". ये हुई न बात जिसपर गर्व किया जाए। मलाला युसुफजई ने पाकिस्तान की इज्जत रख ली . उसे देखकर कह सकते हैं की बिरले ही हिरण्यकशिपु के यहाँ प्रहलाद जन्म लेते हैं। बिलकुल प्रहलाद जैसा हाल है मलाला का। अच्छी बातें करनी की सजा दी गई उसे और उसकी सहेलियों को। फिर भी , मलाला अडिग है अपने निर्णय पर और आगे की परीक्षा की तैयारी अस्पताल में ही कर रही है।
पूरे आतंकवादी संगठन और पाकिस्तान सरकार जो नही कर सकती वो इस किशोरी ने किया है " पाक का मान बढ़ाया है पूरे विश्व में ". संयुक्त राष्ट्र ने 10 दीसंबर को 'मलाला दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की है। शायद कसाब ने मृत्यु पूर्व पढ़ा हो इस किशोरी के बारे में , सिर्फ यही एहसास दिला सकती थी कसाब को कि उसने रुपये और भावनाओं के बहकावे में आकर गलत निर्णय लिया और अपने जीवन को नष्ट करने का कारण वह स्वयं था। वहीँ मलाला सकारात्मक है , वह किरण है जो अन्धकार दूर कर प्रकाश की पुनर्स्थापना करने की क्षमता रखती है। मलाला का सर पर गोली लगने के बाद भी जीवित बचना 'एक जीवन' की जीत है और कसाब की फाँसी 'एक मौत' की हार है।
ईश्वर मलाला को दीर्घ आयु दें और पकिस्तान को इस ताज़ा फुहार से तरबतर कर दें।
आमीन !
कसाब ! कुछ तो ऐसे अच्छे कर्म रहे होंगे तुम्हारे कि भारत भूमि में समा गए।
अलविदा !
बढिया,
ReplyDeleteबहुत बढिया
lekh pasand karne ke liye dhanyvaad Mahendra ji !
ReplyDeleteदिल है तो ऐसी बातें उतना स्वभाविक है .. पर सत्य को स्वीकारना भी जरूरी है ..
ReplyDeleteजी बिलकुल सर . दुःख हुआ कसाब के लिए भी की एक नौजवान गलत हाथों में पढ़कर बर्बाद हो गया वहीँ एक छोटी सी बच्ची पूरे पकिस्तान के लिए आशा की किरण बन गई है. उम्मीद है की हमारा पडोसी जल्द ही संभल जाएगा.
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