सर्कस

उमम् की आवाज के साथ
शहद की मिठास के साथ
शुरू हुआ सर्कस

चेहरे देखने का
आवाज पहचानने का
शुरू हुआ सर्कस

कछुए से चीता बनाने 
खरगोश से लोमड़ी बनाने का
शुरू हुआ सर्कस 

हिजड़ा बना सेनापति 
ज्ञानी गरल पीडित 
चल पड़ा सर्कस 

घोड़े को गधा बनाने का 
चेहरे पहचानने का 
चल पड़ा सर्कस 

नाम को दाम से चमकाने 
दाम को दाँत से चमकाने 
चल पड़ा सर्कस 

बंदरों की उछलकूद 
दोनों तरफ बल्ली में संभालते 
थकाने लगा सर्कस 

साँस की महीन तार 
मुश्किलें अपार 
थकाने लगा सर्कस 

घंटों और मन्त्रों का शोर 
द्वार पर पसरे बुजुर्गों के हाथ 
थकाने लगा सर्कस 

एकांत ... एकांत ...... !!!!!!!!!!!!
वृक्ष के नीचे ... चिड़ियों के पास .... 
बंद करो ये सर्कस .. !!!

हो गई पहचान 
कण-कण की 
बंद करो ये सर्कस .. !!!

जो है जैसा है .. वैसा है 
पूर्ण है 
बंद करो ये सर्कस .. !!!

निकली उच्छ्वास 
सत्य के 'नूर' से 
बंद हुआ सर्कस 

आती साँस जाती साँस 
हर क्षण प्रफुल्लित 
पूरा हुआ सर्कस




Comments

  1. आजकल हर रोज़ एक सर्कस देखने को मिल ही जाता है :)

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    1. हाँ भाई ! सच को झूठ और झूठ को सच बनाने का सर्कस.

      :)

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