श्रद्धांजलि : एक अनामिका को


कल बिलासपुर के बस स्टैंड में एक सूनी जगह से आ रही तेज दुर्गन्ध ने लोगों का ध्यान खींचा. उस दुर्गन्ध का पीछा करते हुए वे लोग उस जगह पहुंचे जहाँ से दुर्गन्ध आ रही थी. उन्हें वहां एक महिला की नग्न लाश आपत्तिजनक स्तिथि में मिली. महिला के गले में खरोंच के निशान थे. मृत देह के पास ही चप्पलें और शराब की बोतलें पड़ी थीं. पुलिस की तफ्तीश में पता चला की वह एक विक्षिप्त महिला थी जो भिक्षावृत्ति कर जीवनयापन करती थी. महिला की उम्र २५ वर्ष के आसपास थी. पुलिस इसे अनाचार के बाद हत्या का मामला मान रही है. 

अनाचार के बाद हत्या , मतलब महिला भले ही विक्षिप्त थी परन्तु नशेड़ियों से सम्बन्ध बनाने को  तैयार नहीं थी और विरोध कर रही थी. शायद उसके उग्र रूप को देखकर ही भारत के उन भले मर्दों ने यह निर्णय लिया होगा कि अब इस विक्षिप्त जीवन से उक्त महिला को सदा के लिए मुक्ति दे दी जाये. इस बात की एक रत्ती भी उम्मीद नहीं है कि उन भले मर्दों को उनके इस पुनीत कार्य के लिए खोजकर पुरुस्कृत किया जायेगा. बात पुलिस की नहीं है , बात मेरी भी है . क्यों बहाऊँ मैं आंसू ? मुझे क्या हक है ? आह्ह ! ये ढोंग है जो अब और नहीं होता....नहीं होता. माफ़ी मांगना भी ढोंग लग रहा है. मैं जानती नहीं थी क्या कि ऐसा हो सकता है. सब जानती थी. "भूल जाओ" मत कहियेगा. ऐसी घटनाएँ सबक होती हैं न कि भूल जाने के लिए होती हैं. तो आगे क्या ? यह प्रश्न मेरे सामने खड़ा है जिसका उत्तर जल्दी नहीं मिलेगा परन्तु मिलेगा ज़रूर. यह प्रश्न मेरे लिए आत्मिक है न की सांसारिक....!

एक अनाम ज़िन्दगी को मेरी श्रद्धांजलि !
प्यार और आदर , तुम्हारे इस जीवन के लिए !

Comments

  1. Kaafi samvedanshil hain aap.

    Waise 1 had tak ye sahi hai ki us mahila k saath jo kuch v huaa us k liye sirf we mard hi nahi,, balki sab doshi hain. Jo roj use dekhte honge, un k zehan me zaroor hoga ki is k saath aisa kav v ho sakta hai.

    Kaash samay rahte use sahi jagah pe pahuncha diya jata.

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