अंतर्मन कहता है ..
स्वामी विवेकानंद से शिकागो प्रवास के दौरान एक अंग्रेज ने कहा - " क्या भारतीय ठीक से कपडे नहीं पहन सकते? " स्वामी विवेकानंद ने शांत रहते हुए जवाब दिया - " हमारी संस्कृति में कपड़ों से ज्यादा चरित्र को महत्व दिया गया है. "
भारत एकमात्र देश है जहाँ मुनिजन निर्वस्त्र घूमते हैं और लोग उन्हें श्रद्धाभाव से देखते हैं. बड़े से बड़े राजा-महाराजा उनके पाँव पखारते हैं और अपने कष्टों के निवारण के लिए आशीर्वाद के साथ ही राय भी लेते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि संसार में किसी पर भरोसा किया जा सकता है तो इन निर्मोही तत्वज्ञानियों पर ही. बाकी तो सब छल है ... रेशमी छल. हर चेहरा ऊपर से लिपा-पुता मुस्कुराता दिखता है, उसकी एक परत खुंरच के देखिये, घाव ही घाव दिखेंगे. घबराहट होने लगेगी और तय नहीं करते बनेगा कि किसे ज्यादा दुखी कहें और किसे खुशकिस्मत कहें ?
जैसे-जैसे समाज सभ्य होते गए उनकी कलात्मकता निखरती गई और मनुष्य केश वस्त्र से तंतु वस्त्र की ओर उन्मुख होने लगा. कालांतर में रेशों के प्रति उसका ज्ञान बढ़ गया और उसे सजा कर पहनने की दिलचस्पी भी. मुद्रा व्यवस्था ने ताकत के आधार पर बँटे समाज को आर्थिक शक्ति से भी बांटने का कार्य किया. धीरे-धीरे लोग भूल गए कि वो दिल से मानव हैं भले ही तन पर कपड़े हों या नहीं , क्या फर्क पड़ता है .
आज यह हाल है कि मानवीयता अपनी गरिमा के लिए मानव मूल्यों पर नहीं कपड़ों पर निर्भर हो गई है. जिसने कपड़े पहने हैं वह इज्जतदार और जिसने नहीं पहने वह लूज़र है. हद्द है !! यह क्या बात हुई ?! आये दिन खबरें आ रही हैं .. प्रेमी ने प्रेमिका का एमएमएस बनाया, गाँव में सबके सामने महिला को निर्वस्त्र कर घुमाया, पब में जाकर स्त्रियों के बाल खींचे और कपड़े उतार कर विडियो यु-ट्यूब में डाल दी . करो .. और कर भी क्या सकते हो ... लूज़र !!! बात नहीं मानती है ... उड़ा दो इज्जत ... वाह क्या बात है ... ! लड़की हो या लड़का .. अपनी इज्जत के लिए वह कपड़ों का मोहताज नहीं है , कदापि नहीं. उतार दो कपड़े ... और उतरवा लो अपनी खुद की इज्जत क्योंकि इज्जत चरित्र से होती है कपड़ों से नहीं .
गुवाहाटी में सोमवार को हुई घटना की जिसप्रकार लड़कों ने भर्त्सना की है उसे देखकर लगता है कि आज के युवा असभ्य परम्पराओं और मान्यताओं को एक मिनट भी चुप होकर नहीं देख सकते. गुवाहाटी के दरिंदों में से एक को नौकरी से निकलवा दिया युवकों ने. पता नहीं ये लड़के रामभक्त हैं या कृष्ण भक्त, नानकभक्त हैं या यीशु भक्त या अल्लाह के बन्दे ... सब एक लग रहे थे ... सिर्फ अच्छे इंसान लग रहे थे. लिंग से परे, धर्म से परे , देश से परे सब एक आवाज में खड़े होकर पीड़ित लड़की के हक में बोल रहे थे. एक स्त्री के रूप में कह सकती हूँ " धन्यवाद आपका ! डरने की कोई बात नहीं है, सारी उंगलियाँ एक सी नहीं होती ." अतः यह दुर्भावनापूर्ण कृत्य एक न एक दिन बंद होगा.
Link : Guwahati molestor shamed on facebook
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