चुप रहो कि अभी अपनी बारी नही आई है ..

कलियाआआआआआआ .........................

सरब्जॆत्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त ..........................

कहाँ हो तुम ............................


कलियाआआआआआआ .........................

सरब्जॆत्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त

ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
कोई रोको इसे .................
कितनी ज़ोर की चीख
प्रेतों की रूह काँप जाये ..........

सुन लो ये चीख
देख लो कैसे माथा पीटते हैं
कैसे छाती पीटते हैं
कैसे बेबस बाप होंठ भींचे
भीड़ के सामने सम्मान बचाने
खडा हो जाता है
'अपने को' ख़ाक करने
सीख लो ......................

गर्व करो ..
हम सब एक हैं
गुजराती, पंजाबी , हिन्दू , मुसलमान
एक से मरते एक से रोते
मेरा भारत महान

मत आना 'उसके लिए'
रहने दो उसे अकेले मरते
कर दो मुनादी ..
अपने भी अकेले मरने की आज
ऐसे ही मरोगे एक के बाद एक
अकेले .. अकेले .. अकेले

मत सोचना की यह सबसे बुरा है
इससे बुरा क्या होगा ?
नही जी .. बुरा होना अभी बाकी है
बच्चों का बिक जाना याद है
पांच सौ रुपये में .. हरियाणा , बिहार में ?
अब होगा ये खेल लाखों में
शराब में धुत्त अबोध बच्चे - बच्चियां
सरहद पार शहीद होंगे
देश के लिए ...
अकेले .. अकेले .. अकेले


[ मौन को प्रणाम
 किसी ने ठीक कहा है ..
जाके पैर न पड़े बवाई .. वो क्या जाने पीर पराई ]


Comments

  1. जिश्म को बिकता देख के हैरान क्यों है दोस्त,
    ये वो ज़माना है जहां ईमान बिकता है;
    वफ़ा-ए-सरहद से दूर बहुत,
    ये वो ज़माना है जहां इंसान बिकता है....
    ना कर यकीं कभी किसी का इस ज़माने में,
    ये वो ज़माना है जहाँ हर रिश्ता-ए-इंसान बिकता है;
    गीता कुरान के पाक लब्जों की है किसे क़द्र;
    ये वो ज़माना है जहां हिंदू मुस्लमान बिकता है....
    "पागल" बंद रख अपनी जुबां और देख नज़ारा इस ज़माने का;
    ये वो ज़माना है जहां मौत का हर सामान बिकता है

    सतीश गिर गोस्वामी "पागल"

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    Replies
    1. ये वो ज़माना है जहां मौत का हर सामान बिकता है
      sahi kahaa aapne satish ji .
      katusatya hai yah .

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  2. Replies
    1. जागेंगे सर .. संचार क्रांति ने एकता को बढ़ावा दिया है.

      Delete

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