एक पत्र का अवसान

१ 




पत्र अवसान के उपरांत जमीन पर पड़ा है ..सूखा हुआ .. जगह जगह से मुड़ा हुआ और शांत। 
[क्या वह सचमुच में शांत है ? हाँ हाँ जी .... असीम शांत है।] 

कि तभी एक चौपाये का एक कठोर पाया उसके मृत क्षीण शरीर पर पड़ा और पत्र के चरमराने की आवाज आई। चौपाया बेखबर, बेअदब जुगाली करते आगे बढ़ गया और अपने पाप धोते हुए पत्र के मुंह पर सस्वर पवित्र गोबर कर गया। 

पत्र अब भी शांत है। तेज धूप में गोबर अब सूख गया है और उसकी गंध भी बदल गई है। कीटों का शोर बता रहा है की आज सबकी गोबर की दावत होने वाली है। सो वो भी हो गई। अचानक मौसम ने करवट ली और बारिश होने लगी। बूँद-बूँद बारिश का पानी और बारिश से उठती मिट्टी की सौंधी खुश्बू पूरे वातावरण को बदल रही थी। सूखी मिट्टी मारे ख़ुशी के बहने लगी। बूंदों की लड़ी से पेड़ों ने अपना मुंह धोया और मुस्कुराने लगे। जड़ें अपना गला तर करके आराम करने लगीं और बारिश की मार से कुम्हलाये नाजुक फूल बारिश  के ख़त्म होने का इंतज़ार करने लगे। 

सब खुश थे भीगे हुए संवारे हुए खुश्बूदार ... आह्हा !!!!

इस सबके बीच हमारा पत्र सोच रहा है कि वो क्यों नही है अब खुश्बूदार और खूबसूरत सब की तरह। कोई नहीं है जिससे पूछे बताये कि उसे खुश्बू नहीं आ रही है अब ना ही ताज़ी हवा में अंगड़ाई ले पा रहा है। बस मन मसोस कर सबको देख रहा है और सबकी बातें सुन रहा है। इतना सोचना था कि हमारे वाले पत्र की शाँति भंग हो गई।

' एक समय था जब मैं हरे रंग का था, सुन्दर , गठीला और मेहनती। पानी पीता और धोंकनी सी गर्म सूर्य रश्मियों से पेड़ के लिए भोजन बनाता। सबसे आगे रहता था मैं। पक्षियों का गाना सुनता और उनके बच्चों को शाम को हवा के झोंकों से लहराकर गाने सुनाता। और अब, अब पड़ा हूँ बेबस अपने पेड़ से होकर अलग, पीला, मुड़ा- तुड़ा। '

(क्रमशः)

एक पत्र का अवसान - २

Comments


  1. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena69.blogspot.in/

    ReplyDelete

Post a Comment

SHARE YOUR VIEWS WITH READERS.