मेरे रोल मॉडल
सोचिये कैसा लगेगा जब आपका फोन बजे और स्क्रीन में आपके रोल मॉडल का नाम फ्लेश हो और ऊपर से ये भी कि कल आपको उनसे मिलने का मौका भी मिलने वाला हो ......
Place - Commissioner Office,
Bilaspur, CG
Date - 25/01/2016
Time - 09.30 am
Calm n serene atmosphere in office compund. सुंदर बगीचा, ठंडी हवा.... पर सर कहाँ मिलेंगे तो पता नहीं था न ... सो हम गलत तरफ चले गए। सामने कोई नहीं दिखा तो ससंकोच अंदर गए। दो कमरे बाद एक जनाब typing करते मिले। उनसे पुछा " बोरा सर कहाँ मिलेंगे? " बंदा typical simple n sober Indian type था। सादगी से बोला " उस तरफ "। हमारे कुछ समझ न आया । हमने फिर पुछा "किधर?" बाबू फिर खुद हमें रास्ता बताने बाहर तक आ गए। सुंदर गार्डन से गुजरते हुए हम main area में पहुँचे। वहाँ एक अधेड़ उम्र के प्यून से पुछा " सर से मिलना है। कहाँ जाएँ?" उन्होंने हमें सर के ऑफिस के बाजू में बने प्रतीक्षा कक्ष में बैठने की सलाह दी।
प्रतीक्षालय में एक सज्जन प्रतीक्षारत् व्याकुल से बैठे हुए मिले। हमें देखते ही आतुरता से पूछे " आप भी अपना transfer रुकवाने आईं हैं?" हमने थोड़ा सामान्य दिखने का प्रयास करते हुए खुशी छुपाकर कहा " नहीं। सर ने बुलाया है। 26 जनवरी को हमारा सम्मान करना चाहते हैं। " उन्होंने सपाट भाव से पूछा " क्यों?" हमने भी सपाट कह दिया "हमारी कोचिंग के लिए।"
इसी तरह बात करते-करते करीब पौना घंटे घड़ी की सुई आगे बढ़ गई और हम दोनों बार-बार सर के केबिन को निहारते बतियाते रहे। ( ये वाली गप्पें बाद में कभी)
कुछ समय बाद सर की गाड़ी सुंदर से सोने के रंग से रंगे चौखंबों के बीच आकर रुकी कि वातावरण में जान आ गई। पता नहीं कौन-कौन महानुभाव कहाँ - कहाँ से अचानक प्रकट हुए और सर की अगवानी को दौड़ पड़े। हमें बड़ा अजीब लगा ये सब। साफ-सुथरे सुसंस्कृत पढ़े-लिखे विनम्र बाअदब मुस्कुराते हुए एक बाबू गाड़ी का दरवाजा खोलते हैं। और गाड़ी से हमारे well नहीं नहीं very well maintained बोरा सर पूरी गर्मजोशी से बाहर आते हैं।
Wow !!! Wat an aura he created that time was beyond my imagination.
😇
सर ऑफिस में दाखिल होते हुए सजगता से जल्दबाजी में प्यून बाबू से पूछते हैं "ऑफिस साफ है अच्छे से!" ये उनकी आदत है या मेहमानों के लिए सतर्कता पता नहीं परन्तु जवाब "हाँ" में पाकर उन्होंने प्रतीक्षालय में हम दोनों प्रतीक्षारतों की ओर देखा। शिक्षाकर्मीजी तुरंत झुककर सर का अभिवादन किए। और हम ... चुपचाप बैठे रहकर ये छुपा ले गए कि हम तो सर को देखते ही रह गए। सर ऑफिस के अंदर चले गए। पता नहीं क्या सोचे होंगे कि कितनी अकड़ू है ये। बैठी रही । पर हमें लगता है कि भारत मे स्त्रियाँ न किसी से हाथ मिलाती हैं न उठकर अभिवादन करती हैं। इसमें अशिष्टता नहीं है।
सर पहले transfer वाला मामला निपटाना चाहते थे सो पहले हमारा नंबर न आया। दो मिनट बाद हमारा नंबर आया। हम एक बड़े से सुंदर ऑफिस में दाखिल हुए। सर से नमस्ते की और सामने की पंक्ति वाली कुर्सी में बैठ गए। सर ने पूछा " संज्ञा.. आप अपना बायोडाटा लाईं हैं, हमारे रेकॉर्ड में लगेगा। " हमने हाँ सर कहा और बायोडाटा सर को सौंप दिया। जब तक सर बायोडाटा पढ़ रहे थे हम उनके ऑफिस वो तमाम तस्वीरें खोज रहे थे जिनको हमने फेसबुक में देखा था... पूर्व पी.एम. मनमोहन सिंह पुरुस्कार देते हुए, सर की विदेश की मीटिंग्स की पिक्... पर कुछ न दिखा। जहाँ तक याद आ रहा है सर की माताजी की एक अति स्नेहपूर्ण तस्वीर थी। इतने में सर ने बाहर इंतजार कर रहे कुछ और लोगों को भी अंदर भेजने को कहा। एक वृद्ध महिला प्रथम दो अन्य कन्याओं के साथ अंदर आईं जो बाहर बगीचे में अपनी बारी का इंतजार कर रहीं थीं। वे सब पीछे वाली पंक्ति की कुर्सियों में बैठ गईं। उन बुजुर्ग महिला ने भी सर को बायोडाटा दिया। हमें तो वो बुक लगा। सर उनके बायोडाटा को पढ़ ही रहे थे कि एक बुजुर्ग महिला द्वितीय अपने पति के साथ तमतमाते हुए अंदर आईं और आते ही सर की कुर्सी वाले जोन में जाकर सर की क्लास लेनी शुरु कर दीं एकदम नारेबाजी वाले अंदाज में... "हमने NGT से बात की है....अरपा की उत्पत्ती की जगह बेजा कब्जा कर लिया है...." सर ने शांति से कहा " मैंने खुद वहाँ एक बोर्ड लगवाया है " .. महिला थोड़ा पीछे हुईं "हाँ .. है तो बोर्ड" फिर आगे की ओर लपकीं... तब तब उनके श्रीमानजी और पीछे बैठकर "हाँ-हाँ" का हुँकारा दिए जा रहे थे बीच बीच में ...महिलाजी द्वितीय पुन: फरमाईं... फरमाईं क्या .. क्लास लेने लगीं " वहाँ बेजा कब्जा हो गया है ... अरपा के उद्गम को बाधित किया जा रहा है। " सर ने तुरंत संबंधित अधिकारी को फोन लगाकर वस्तुस्थिती पूछी। वहाँ से भी जवाब मिला कि ऐसा कुछ नहीं है। जो जगह दूसरी आंटीजी बता रही थीं उसे अरपा का उद्गम माना ही नहीं जाता। बस इतना सर का कहना था कि वो और नाराज हो गईं। "मै यहाँ की पहली महिला प्रिंसीपल हूँ। भूगोल मेरा विषय है। मेरे कॉलेज से इतने IAS निकले हैं.....आदि आदि। " और बीच बीच में हाँ हाँ की हुँकारी ....
सर ने उनसे कहा आपको हम सम्मानित करना चाहते हैं इसलिए बुलाया है। वो थोड़ा ठिठक गईं। सम्मानित?
बताइए उनको पता ही नहीं था। फिर भी ...वो जारी रहीं ...और मेरे कुछ समझ न आया infact कई बार उनके प्रश्न और तरीका हास्यास्पद और objectionable भी लगा।
इधर आंटी द्वितीय कुछ शांत सी हुईं ही थीं कि एक वृद्ध अंकल आए। वे सर से पहले भी मिल चुके थे। उनकी पैंशन किसी सक्षम अधिकारी ने घूस की लालच में अटका दी थी। सर ने कहा "अंकल, आप लिखित शिकायत दे दीजिए। उस अधिकारी की बहुत शिकायत आ रही है। हम तत्काल उस पर कार्यवाही करेंगे।" अंकल प्रसन्न होकर चले गए। सर ने फिर हम सबका परिचय आपस में कराया।
आंटी प्रथम दिव्यांगों की एक संस्था अपनी इन दोनों सहयोगियों के साथ चलाती थीं। wow....
आंटी द्वितीय तो अपना परिचय खुद दे चुकी थीं।
अंत में मेरा परिचय देते हुए सर ने कहा " इनको देखिए... इतनी कम उम्र में इनकी अपनी खुद की खड़ी की IAS Academy है। इनसे सीखिए और नए बच्चों को सामने लाईए। very impressive bio data ... " इतना सर ने कहा कि आंटीजी दोनों कन्याओं को लेकर सामने बैठने आ गईं। कन्या प्रथम ने पूछा " हम चाहते हैं ये बच्चे IAS बनें। आप सुझाव दें। " हमने इस अनोखे खूबसूरत सपने को पूरा करवाने में अपनी असमर्थता जता दी। भविष्य की संभावनाओं को हालाँकि कोई नहीं जानता है।
इस प्रकार सर के साथ मीटिंग समाप्त हुई। हम सब बाहर आए। मैंने दोनों आंटियों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। आंटी द्वितीय से कुछ और भी बाते हुईं । वे अपने संस्थान में मुझे एक लेक्चर के लिए बुलाना चाहती थीं।
मैंऑफिस से निकलते हुए सोच रही थी...
Officer तो बहुत हैं पर Role Model वो बनता है जो विनम्र हो और जनता की परेशानियों को दूर करे । भई हमें तो गर्व है अपने रोल मॉडल बोरा सर पर ।
अब फिर ये सवाल कि रोल मॉडल के जैसी खुद क्यों नही बनी तो इसका जवाब Sonmoni Borah Ias सर के शब्दों में देंगे फिर कभी।
- संज्ञा अग्रवाल
भारत की प्रथम महिला IAS Academy संचालिका
स्वयं के प्रयासों के द्वारा
Place - Commissioner Office,
Bilaspur, CG
Date - 25/01/2016
Time - 09.30 am
Calm n serene atmosphere in office compund. सुंदर बगीचा, ठंडी हवा.... पर सर कहाँ मिलेंगे तो पता नहीं था न ... सो हम गलत तरफ चले गए। सामने कोई नहीं दिखा तो ससंकोच अंदर गए। दो कमरे बाद एक जनाब typing करते मिले। उनसे पुछा " बोरा सर कहाँ मिलेंगे? " बंदा typical simple n sober Indian type था। सादगी से बोला " उस तरफ "। हमारे कुछ समझ न आया । हमने फिर पुछा "किधर?" बाबू फिर खुद हमें रास्ता बताने बाहर तक आ गए। सुंदर गार्डन से गुजरते हुए हम main area में पहुँचे। वहाँ एक अधेड़ उम्र के प्यून से पुछा " सर से मिलना है। कहाँ जाएँ?" उन्होंने हमें सर के ऑफिस के बाजू में बने प्रतीक्षा कक्ष में बैठने की सलाह दी।
प्रतीक्षालय में एक सज्जन प्रतीक्षारत् व्याकुल से बैठे हुए मिले। हमें देखते ही आतुरता से पूछे " आप भी अपना transfer रुकवाने आईं हैं?" हमने थोड़ा सामान्य दिखने का प्रयास करते हुए खुशी छुपाकर कहा " नहीं। सर ने बुलाया है। 26 जनवरी को हमारा सम्मान करना चाहते हैं। " उन्होंने सपाट भाव से पूछा " क्यों?" हमने भी सपाट कह दिया "हमारी कोचिंग के लिए।"
इसी तरह बात करते-करते करीब पौना घंटे घड़ी की सुई आगे बढ़ गई और हम दोनों बार-बार सर के केबिन को निहारते बतियाते रहे। ( ये वाली गप्पें बाद में कभी)
कुछ समय बाद सर की गाड़ी सुंदर से सोने के रंग से रंगे चौखंबों के बीच आकर रुकी कि वातावरण में जान आ गई। पता नहीं कौन-कौन महानुभाव कहाँ - कहाँ से अचानक प्रकट हुए और सर की अगवानी को दौड़ पड़े। हमें बड़ा अजीब लगा ये सब। साफ-सुथरे सुसंस्कृत पढ़े-लिखे विनम्र बाअदब मुस्कुराते हुए एक बाबू गाड़ी का दरवाजा खोलते हैं। और गाड़ी से हमारे well नहीं नहीं very well maintained बोरा सर पूरी गर्मजोशी से बाहर आते हैं।
Wow !!! Wat an aura he created that time was beyond my imagination.
😇
सर ऑफिस में दाखिल होते हुए सजगता से जल्दबाजी में प्यून बाबू से पूछते हैं "ऑफिस साफ है अच्छे से!" ये उनकी आदत है या मेहमानों के लिए सतर्कता पता नहीं परन्तु जवाब "हाँ" में पाकर उन्होंने प्रतीक्षालय में हम दोनों प्रतीक्षारतों की ओर देखा। शिक्षाकर्मीजी तुरंत झुककर सर का अभिवादन किए। और हम ... चुपचाप बैठे रहकर ये छुपा ले गए कि हम तो सर को देखते ही रह गए। सर ऑफिस के अंदर चले गए। पता नहीं क्या सोचे होंगे कि कितनी अकड़ू है ये। बैठी रही । पर हमें लगता है कि भारत मे स्त्रियाँ न किसी से हाथ मिलाती हैं न उठकर अभिवादन करती हैं। इसमें अशिष्टता नहीं है।
सर पहले transfer वाला मामला निपटाना चाहते थे सो पहले हमारा नंबर न आया। दो मिनट बाद हमारा नंबर आया। हम एक बड़े से सुंदर ऑफिस में दाखिल हुए। सर से नमस्ते की और सामने की पंक्ति वाली कुर्सी में बैठ गए। सर ने पूछा " संज्ञा.. आप अपना बायोडाटा लाईं हैं, हमारे रेकॉर्ड में लगेगा। " हमने हाँ सर कहा और बायोडाटा सर को सौंप दिया। जब तक सर बायोडाटा पढ़ रहे थे हम उनके ऑफिस वो तमाम तस्वीरें खोज रहे थे जिनको हमने फेसबुक में देखा था... पूर्व पी.एम. मनमोहन सिंह पुरुस्कार देते हुए, सर की विदेश की मीटिंग्स की पिक्... पर कुछ न दिखा। जहाँ तक याद आ रहा है सर की माताजी की एक अति स्नेहपूर्ण तस्वीर थी। इतने में सर ने बाहर इंतजार कर रहे कुछ और लोगों को भी अंदर भेजने को कहा। एक वृद्ध महिला प्रथम दो अन्य कन्याओं के साथ अंदर आईं जो बाहर बगीचे में अपनी बारी का इंतजार कर रहीं थीं। वे सब पीछे वाली पंक्ति की कुर्सियों में बैठ गईं। उन बुजुर्ग महिला ने भी सर को बायोडाटा दिया। हमें तो वो बुक लगा। सर उनके बायोडाटा को पढ़ ही रहे थे कि एक बुजुर्ग महिला द्वितीय अपने पति के साथ तमतमाते हुए अंदर आईं और आते ही सर की कुर्सी वाले जोन में जाकर सर की क्लास लेनी शुरु कर दीं एकदम नारेबाजी वाले अंदाज में... "हमने NGT से बात की है....अरपा की उत्पत्ती की जगह बेजा कब्जा कर लिया है...." सर ने शांति से कहा " मैंने खुद वहाँ एक बोर्ड लगवाया है " .. महिला थोड़ा पीछे हुईं "हाँ .. है तो बोर्ड" फिर आगे की ओर लपकीं... तब तब उनके श्रीमानजी और पीछे बैठकर "हाँ-हाँ" का हुँकारा दिए जा रहे थे बीच बीच में ...महिलाजी द्वितीय पुन: फरमाईं... फरमाईं क्या .. क्लास लेने लगीं " वहाँ बेजा कब्जा हो गया है ... अरपा के उद्गम को बाधित किया जा रहा है। " सर ने तुरंत संबंधित अधिकारी को फोन लगाकर वस्तुस्थिती पूछी। वहाँ से भी जवाब मिला कि ऐसा कुछ नहीं है। जो जगह दूसरी आंटीजी बता रही थीं उसे अरपा का उद्गम माना ही नहीं जाता। बस इतना सर का कहना था कि वो और नाराज हो गईं। "मै यहाँ की पहली महिला प्रिंसीपल हूँ। भूगोल मेरा विषय है। मेरे कॉलेज से इतने IAS निकले हैं.....आदि आदि। " और बीच बीच में हाँ हाँ की हुँकारी ....
सर ने उनसे कहा आपको हम सम्मानित करना चाहते हैं इसलिए बुलाया है। वो थोड़ा ठिठक गईं। सम्मानित?
बताइए उनको पता ही नहीं था। फिर भी ...वो जारी रहीं ...और मेरे कुछ समझ न आया infact कई बार उनके प्रश्न और तरीका हास्यास्पद और objectionable भी लगा।
इधर आंटी द्वितीय कुछ शांत सी हुईं ही थीं कि एक वृद्ध अंकल आए। वे सर से पहले भी मिल चुके थे। उनकी पैंशन किसी सक्षम अधिकारी ने घूस की लालच में अटका दी थी। सर ने कहा "अंकल, आप लिखित शिकायत दे दीजिए। उस अधिकारी की बहुत शिकायत आ रही है। हम तत्काल उस पर कार्यवाही करेंगे।" अंकल प्रसन्न होकर चले गए। सर ने फिर हम सबका परिचय आपस में कराया।
आंटी प्रथम दिव्यांगों की एक संस्था अपनी इन दोनों सहयोगियों के साथ चलाती थीं। wow....
आंटी द्वितीय तो अपना परिचय खुद दे चुकी थीं।
अंत में मेरा परिचय देते हुए सर ने कहा " इनको देखिए... इतनी कम उम्र में इनकी अपनी खुद की खड़ी की IAS Academy है। इनसे सीखिए और नए बच्चों को सामने लाईए। very impressive bio data ... " इतना सर ने कहा कि आंटीजी दोनों कन्याओं को लेकर सामने बैठने आ गईं। कन्या प्रथम ने पूछा " हम चाहते हैं ये बच्चे IAS बनें। आप सुझाव दें। " हमने इस अनोखे खूबसूरत सपने को पूरा करवाने में अपनी असमर्थता जता दी। भविष्य की संभावनाओं को हालाँकि कोई नहीं जानता है।
इस प्रकार सर के साथ मीटिंग समाप्त हुई। हम सब बाहर आए। मैंने दोनों आंटियों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। आंटी द्वितीय से कुछ और भी बाते हुईं । वे अपने संस्थान में मुझे एक लेक्चर के लिए बुलाना चाहती थीं।
मैंऑफिस से निकलते हुए सोच रही थी...
Officer तो बहुत हैं पर Role Model वो बनता है जो विनम्र हो और जनता की परेशानियों को दूर करे । भई हमें तो गर्व है अपने रोल मॉडल बोरा सर पर ।
अब फिर ये सवाल कि रोल मॉडल के जैसी खुद क्यों नही बनी तो इसका जवाब Sonmoni Borah Ias सर के शब्दों में देंगे फिर कभी।
- संज्ञा अग्रवाल
भारत की प्रथम महिला IAS Academy संचालिका
स्वयं के प्रयासों के द्वारा
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