कायर


नक्सलियों की एक और कायराना हरकत - ७ जवान शहीद .

पहले मुझे समझ नहीं आता था कि इसे कायराना हरकत क्यों कहते हैं पर अब समझ आ गया .

- ये करना कुछ नहीं चाहते और  सरकार  को भी विकास  करने से रोकते हैं . पर ... सब अपने हाथ में चाहिए . 
- डराओ, धमकाओ, मारो और पैसा वसूलो. 
- अपने जैसे बिच्छूओं  को संरक्षण दो और पकडे जाओ तो एक दर्दभरी झूठी कहानी सुना दो ताकि सही व्यक्ति ही फंस जाये.
- ये कभी कोई समझदारी की बात नहीं करेंगे , होने ही नहीं देंगे तब तो चलेगी इनकी नक्सल  दूकान.
- इन्हें जंगल, भूमि, खनिज, वन  संपत्ति की चिंता तो है परन्तु मानव संसाधन  की  नहीं  क्योंकि मानव अपनी रक्षा स्वयं करेगा. जमीन-खनिज  की रक्षा या कहें कब्ज़ा तो नक्सलियों को ही करना पड़ेगी वर्ना वो सब चला जायेगा हाथ से.
- कब तक चलेगा ये तांडव ? मरने वाले मेरे सगे रिश्तेदार न सही पर इंसानियत का रिश्ता पुकारता है.
- नेताओं पर भरोसा किसी को नहीं है पर ऐसी हिंसक व्यवस्था देश में कहीं नहीं है जैसी समझदार  और भले नक्सली भोले भाले आदिवासियों और सरकारी कर्मचारियों को अपनी ज़मीन पर उपलब्ध करा रहे हैं.
- नक्सली अपनी कायराना हरकतों से सिवाय अपने किसी और का भला नहीं कर रहे हैं, यह स्पष्ट है.

और नक्सली प्रेमी प्लीज़ ... आप खुद जाकर नक्सलियों की सेवा करें. हमसे उम्मीद न करें कि हम इन हिंसाप्रिय दुष्टों को अब और सहेंगे डर-डर कर और आप अपने भले होने को भुन्जाते रहेंगे बिना कुछ किये. भले तो सब हैं पर मूर्ख नहीं इसलिए बात भर ना करें बल्कि मुख्यधारा में शामिल  हों. ये विनती नहीं सुझाव है.

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