गुनगुनी धूप और तितली
छोटी तितली
पुष्प पर डोलती
पंख हिलाती
नर्म सी धुप
उसकी मुस्कान को
छूने तत्पर
इतराती है
धूप को मार ताली
उड़ जाती है
हरी पत्तियां
देख रही हैं रास्ता
पत्र फैलाए
छोटे से पाँव
हल्का तुम्हारा भार
हमें प्यारा
प्यारी तितली
उडती हंसती है
गहरा हल्का ............
नाचती उड़े
रौशनी में तैरती
श्वेत तितली
पुष्प पर डोलती
पंख हिलाती
नर्म सी धुप
उसकी मुस्कान को
छूने तत्पर
इतराती है
धूप को मार ताली
उड़ जाती है
हरी पत्तियां
देख रही हैं रास्ता
पत्र फैलाए
छोटे से पाँव
हल्का तुम्हारा भार
हमें प्यारा
प्यारी तितली
उडती हंसती है
गहरा हल्का ............
नाचती उड़े
रौशनी में तैरती
श्वेत तितली
बहुत प्यारी रचना
ReplyDeleteसादर
dhanyavaad Yashwant ji !
Deleteकोमल भावनात्मक कविता के रूप में सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteधन्यवाद रचना जी .
Deleteआपने कविता पढ़ी और उसपर अपनी प्रतिक्रिया भी दी , बहुत अच्छा लगा.
आज के दौर में हिंदी के कवि देखकर बहुत अच्छा लगता है |
ReplyDeleteबहुत ही अछि कविता है |
Dhanyavaad Vakul ji !
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