स्पर्श
पैरों में चुभते कंकड़ का स्पर्श
बालों से दौड़ लगाती पवन का स्पर्श
बिन जाने पहचाने चेहरों की मुस्कराहट का स्पर्श
ठंडी हवा से आँखों में आंसुओं का स्पर्श
सूनी सड़कों में कानों में खड़खडाती पत्तियों का स्पर्श
कितना मनमोहक है प्रकृति का प्रकृति से स्पर्श
स्व का मिलन
कंकड़ की चुभन
अश्रू मिलन
अंतरतम
ग्रहों का चक्कर
सूफी मलंग
प्रकृति प्रेम
अव्यक्त अगाध
पूर्ण अद्वैत
बालों से दौड़ लगाती पवन का स्पर्श
बिन जाने पहचाने चेहरों की मुस्कराहट का स्पर्श
ठंडी हवा से आँखों में आंसुओं का स्पर्श
सूनी सड़कों में कानों में खड़खडाती पत्तियों का स्पर्श
कितना मनमोहक है प्रकृति का प्रकृति से स्पर्श
स्व का मिलन
कंकड़ की चुभन
अश्रू मिलन
अंतरतम
ग्रहों का चक्कर
सूफी मलंग
प्रकृति प्रेम
अव्यक्त अगाध
पूर्ण अद्वैत
सूनी सड़कों में कानों में खड़खडाती पत्तियों का स्पर्श
ReplyDeleteकितना मनमोहक है प्रकृति का प्रकृति से स्पर्श
सच कहा आपने। स्पर्श की अनुभूति बहुत ही सुखद होती है फिर चाहे वह प्रकृति का प्रकृति से स्पर्श हो या एक माँ का अपनी संतान को कोमल स्पर्श।
सादर
यशवंत जी .. वह स्पर्श जो 'प्राण' से जीवन को मिला दे उसकी अनुभूति व्यक्त करना कठिन होता है. मुझे बहुत ख़ुशी है की आपतक मेरी बात पहुँच सकी. मेरा लेखन ठीक रहा.
Deleteधन्यवाद !