बेखबर रहेंगे कब तक?
भारत में लगातार हो रहे हमले हमारी शासन व्यवस्था को खुली चुनौती दे रहे हैं. फिर वही धमाके, देश के दिल दिल्ली में. परन्तु इस बार कुछ अलग दिखा जो पहले नहीं दिखाई दिया था और वह है अन्ना का प्रभाव. गृहमंत्री का फ़ौरन घटना स्थल जाना और प्रधानमंत्री का बेबस बयान कम से कम इतना तो बदलाव आया की जेड शेनी की सुरक्षा में बैठना ही पर्याप्त नहीं है परन्तु देश में आई प्राकृतिक और आतंकवादी आपदाएं हमें भी कुछ कह रही हैं.
नेताओं का दोष तो है परन्तु एक नागरिक के नाते हमारी भी कुछ जिम्मेदारियां बनती हैं अपने देश को आतंकवाद और आपदाओं से बचाने की अतः हमें अपनी इन जिम्मेदारियों को निभाने के लिए ये कदम उठा सकते हैं.
- आपदाओं और आतंकवादी घटनाओं से निपटने के लिए एक कार्यक्रम तैयार करें जो स्कूली बच्चों और युवाओं को मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूत बनाये ताकि वो ऐसे हालात से स्वयं निपटने में सक्षम बन सकें.
- गली-मोहल्लों में ऐसे समूहों का निर्माण करें जो व्हिसल ब्लोवर का काम करें ताकि देश में एकता और मजबूत हो.
- अवांछित तत्वों पर ये जागरूक समूह कड़ी दृष्टी रखें और तुरंत इनकी जानकारी पुलिस को दें.
- होटल मालिक और गृह स्वामी क़ानून का पालन करें और बिना पहचान- पत्र के किसी को भी घर या कमरा किराये पर ना दें.
- विस्फोटकों की खरीद -फरोख्त पर नजर रखें.
- देश में धार्मिक उन्माद न फ़ैलाने दें.
- पुलिस और अपराध रोकने हेतु बनाई गई प्रशासनिक मशीनरी में बैठे सुस्त और लापरवाह अधिकारीयों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाये ताकि बाहरी दुश्मन हमारी कमजोरियों का फायदा ना उठा सकें.
- सरकार को मजबूर करें कि वह भ्रष्ट लोगों से सख्ती से निपटे ताकि देश में शांति और व्यवस्था बढे और असंतोष न पनपे.
Comments
Post a Comment
SHARE YOUR VIEWS WITH READERS.