भ्रष्टाचार का अंत कैसे हो ?
देश घोटालों की बौछार से त्रस्त है और ऐसे समय में अन्ना हजारे जैसे स्वच्छ चरित्र के व्यक्ति का भ्रष्टाचार के विरोध में जन सैलाब खड़ा कर देना ऐसा सुअवसर है इस पीढ़ी के लिए, जिसका भरपूर प्रयोग किया जाना चाहिए | जापान और कुछ यूरोपीय देशों में ईमानदारी राष्ट्रीय चरित्र है, हमारे यहाँ भी था, जो अब पुनः प्राप्त किया जा सकता है | इसके लिए निम्नलिखित कदम भारतीयों को उठाने होंगे -
- प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को ईमानदार बनाए रखे और छोटी से छोटी ईमानदारी को भी प्रोत्साहन दे |
- प्रत्येक स्तर पर भ्रष्टाचारियों का असहयोग किया जाये तथा उनको भ्रष्टाचार करने से रोकने का शांतिपूर्ण प्रयास किया जाये |
- आर टी आई का सभी दफ्तरों में कडाई से पालन किया जाये |
- भ्रष्टाचारियों के खिलाफ शिकायत करने वालों को सुरक्षा मुहैया कराई जाये |
- छः माह से एक वर्ष के अन्दर भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई पूरी की जाये |
- भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर नॉन-बेलेबल वॉरंट जारी किया जाये |
- आरोप सिद्ध होने की दशा में कठोर कारावास की सजा के साथ ही पूर्व प्रदान की गई उपाधियों को वापस लेने का भी प्रावधान किया जाये |
- लोकपाल और लोकायुक्त को आम जनता की आवश्यकताओं को देखते हुए कार्यक्षेत्र प्रदान करें तथा उन्हें स्वतंत्र, राजनितिक हस्तक्षेप से मुक्त और अधिकार संपन्न किया जाये |
- सभी राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी तथा कर्मी, लोकपाल तथा राज्यों में लोकायुक्त के दायरे में हों, इसी क्रम में, जज भी लोकपाल तथा लोकायुक्त के दायरे में होने चाहिए |
- किसी राजनेता पर भ्रष्टाचार सिद्ध होने पर उसे राजनीति से पूर्णतः अलग कर दिया जाये |
- भ्रष्टाचारी की संपत्ति राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर दी जाये |
- देश के सम्मान तथा सुरक्षा से खेलने वालों को फाँसी की सजा दी जाये |
- विदेशों में धन जमा करने की अनुमति देने के पूर्व सभी संदेह दूर कर लिए जाएँ तथा ऐसे खातों का निश्चित समयांतराल में पुनः परिक्षण किया जाये |
- गरीबों का धन लूटने वालों को आजीवन कारावास दिया जाये |
- भ्रष्टाचार का रहस्योद्घाटन करने वाले आम नागरिकों तथा मीडिया को सरकार द्वारा सम्मानित किया जाये |
- राष्ट्रपति, सभी जज, प्रधानमन्त्री, सभी कैबिनेट मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री तथा कैबिनेट मंत्री अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करें तथा व्यर्थ के दिखावे से दूर रहें |
- मीडिया धन के अपव्यय करने वाली पार्टियों को महत्त्व ना दे क्योंकि अभी भारत भूखा है, वह धन का अपव्यय देखकर खुश नहीं हो सकता है, यह मीडिया का अपना प्रण होना चाहिए |
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