यात्रा नहीं जनाब, काम कीजिये




८ सितम्बर को लालकृष्ण आडवाणी जैसे संसद के माध्यम से समाचारों में छाने को बेताब थे, उन्होंने लोकसभा में लगातार दो घोषणाएं की. पहली घोषणा थी कि वे संसद में हुए नोट कांड की जिम्मेदारी लेना चाहते हैं और इस नाते वो खुद भी जेल जाना चाहेंगे जैसा की उनके दो विधायकों को जेल भेजा गया है. और दूसरी, वो पुनः रथ यात्रा प्रारंभ करेंगे. ८२ वर्षीय नेता क्यों कह रहा है कि मुझे जेल भेजो, क्या ये अन्ना की नक़ल है, नहीं. इमर्जन्सी के दौर में पहले भी श्री लालकृष्ण आडवाणी जेल जा चुके है पर इस बार उनके लाख जोर-जोर से चिल्लाने पर भी देश से कोई उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली और लोग समझ गए कि यह सब खेल है राजनीति का.  
लालकृष्ण आडवाणी आज भी प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं ना कि कोई नैतिक जिम्मेदारी लेने के इच्छुक है. देखिये न, ऐसी कोई जिम्मेदारी हमारे केन्द्रीय मंत्री या प्रधानमंत्री नहीं लेते हैं और न ही आडवाणी ने अपने गृहमंत्री के कार्यकाल में ऐसा कोई उदहारण प्रस्तुत किया था जबकि इनके कार्यकाल में बेहद शर्मिंदा करने वाला ताबूत काण्ड हुआ था फिर भी ये तनिक लज्जित नहीं हुए थे. बिलकुल पी. चिदंबरम की ही तरह विशेष चाल और ढाल का प्रदर्शन करते हुए बात करते थे, तो फिर आज रिश्वत जैसे मसलों पर इतना गुस्सा क्यों?
उनकी दूसरी घोषणा थी की वो रथयात्रा करेंगे. क्यों करेंगे? इसकी अब किसे जरुरत है? देश हाई टेक हो गया है अतः अब युवाओं से जुड़ने के लिए रथ यात्रा की जरुरत ही नहीं है केवल यात्रा डोट कॉम से ही काम चलाया जा सकता है और भारत की ग्रामीण जनता एक ८२ वर्षीय नेता से क्या उम्मीद करे? ये एक भी ऐसा नेता बीजेपी से नहीं उपजा पाए हैं जो कि अपरिपक्व राहुल गाँधी को दरकिनार कर दे. जबकि अन्ना टीम के अरविन्द केजरीवाल ने मात्र ६ माह में ही लाखों युवाओं और बुजुर्गों को भी अपना मुरीद बना लिया है, ये काम बीजेपी अवसरों कि भरमार होने पर भी नहीं कर पाई है. अब ये नया कुछ कर भी नहीं पाएंगे क्योंकि अन्ना के तैयार किये माहौल का कांग्रेस इन्हें फायदा उठाने नहीं देगी. 
बात साफ़ है, अब काम ही बोलेगा, माइक और शब्द नहीं. ६० वर्षों बाद ही सही पर अब देश चुपचाप कुछ भी नहीं सहेगा. अब सबको जवाब देना होगा संसद में. काम करके दिखाना होगा अपने संसदीय क्षेत्र में और खाना खाना होगा तिहाड़ में यदि अब भी नहीं सुधारे तो. बात एकदम सीधी और सपाट है, जो काम करेगा वही मेवा खायेगा. तो मेवा खाना है तो अच्छे नेता तैयार करें जो आपको अगले चुनावों में निर्णायक बढ़त दिला सकें. 

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