टोनही प्रथा की सच्चाई क्या है?
१२ सितम्बर को गणेश विसर्जन के दौरान किसी ने नहीं सोचा था कि वो लीलावती का आखिरी दिन है. एक गरीब विधवा स्त्री का गला उसके पडोसी ने यह इल्जाम लगाकर काट दिया कि वह टोनही है और उक्त स्त्री की ही वजह से जेठू कौशिक(हत्यारा) के घर में लगातार मौतों का सिलसिला चल रहा है. माना जाता है कि टोनही प्रथा बिहार , छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश , बंगाल के गाँव में पाई जाती है परन्तु दिनदहाड़े बिलासपुर शहर में हुई यह पहली वारदात थी.
कानून के मुताबिक, किसी महिला को टोनही सिद्ध करने के लिए यह साक्ष्य अदालत के समक्ष प्रस्तुत करना पड़ता है कि वह किसी एक ख़ास परिवार के विरुद्ध जादू टोने का प्रयोग कर उन्हें हानि पहुँचाने का प्रयत्न करती है ताकि उक्त औरत के खिलाफ कार्यवाही की जा सके. परन्तु ऐसा देखा गया है कि टोनही प्रताड़ना प्रायः उन औरतों को झेलनी पड़ती है जो विधवा हैं और अकेले रहती हैं. उनकी जायदाद हड़पने या दुष्कर्म करने की नियत से सामर्थ्यशाली पुरुष ऐसे अनर्गल आरोप लगाकर अकेली महिला को परेशान करते हैं ताकि उसका समाज में जीना दूभर हो जाये. इन परिस्तिथियों से तंग होकर वह स्वयं कहीं और चली जाये ताकि उसकी संपत्ति पर कब्ज़ा किया जा सके तथा शारीरिक शोषण सरलता से किया जा सके.
कानून इस मामले में खामोश नहीं है. किसी महिला को टोनही प्रताड़ना देने वाले व्यक्ति को ५ से १० वर्ष तक कि सजा हो सकती है और हत्या करने कि स्तिथि में धरा ३०४ के तहत हत्या का मुकदमा चलाया जाता है. टोनही प्रथा हमारे समाज पर एक कलंक है जिसे हमें मिटाना होगा. इसके लिए आवश्यक है कि हम महिलाओं के प्रति उदार नजरिया रखें तथा उनकी सुरक्षा पर विशेष ध्यान दें. ऐसे लोगों को हर स्तर पर बेनकाब करने की जरुरत है जो स्त्री को अबला समझ कर उसके साथ खेलने का प्रयास करते हैं. टोनही प्रथा भारत ही नहीं अपितु अन्य देशों में भी डायन प्रथा के रूप में विद्यमान है जिसका उन्मूलन स्त्री शिक्षा के द्वारा ही किया जा सकता है. प्रत्येक स्त्री चाहे गरीब हो या अमीर, पढ़ी-लिखी हो या अनपढ़ समझना ही होगा की उसे अपने हक के लिए और उसके साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ खुद लड़ना है.
११ अक्टूबर , २०१२
आज लीलाबाई कश्यप को न्याय मिल गया और दोषियों को सजा.
इस मामले में अदालत ने तीनोंआरोपियों को भादवि की धारा 302, 34 के तहत आजीवन कारावास एवं 5-5 हजार रुपए जुर्माने की सजा दी है। वहीं टोनही प्रताडऩा निवारण अधिनियम की धारा 4 के तहत उन्हें एक साल कारावास व 5-5 सौ रुपए जुर्माने से दंडित किया है। आम्र्स एक्ट की धारा 25 (1), (1 ख), ख के तहत 3 साल सश्रम कैद एवं 5-5 सौ रुपए जुर्माना किया गया है। धारा 27 (1) आयुध अधिनियम के तहत आरोपी बाप-बेटों को 3 साल कारावास एवं 1-1 हजार रुपए जुर्माने की सजा दी गई है।
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