Aandolan ko hai hamari jarurat

कितना अलग नजारा था उस दिन , लोग हाथों में जलती हुई मोमबत्तियां लेकर, हाथों में तख्तियां .... हम अन्ना के साथ है ... कहते हुए एक छोटा सा  झुण्ड बनाकर खड़े थे | छोटे से शहर बिलासपुर में ऐसा नजारा पहली बार देखा मैंने |  आज फिर वही नजारा, छोटे से समूह में लोगों का नारे लगाते हुए रैली निकालना...' गांधी ' फिल्म की याद आ गई |  जैसे देश को स्वतंत्र कराने के लिए निकले हों ये लोग , मतलब मेरे लोग, जो मुझसे बेहतर हैं | मेरी तरह घर में बैठे बातें नहीं कर रहे हैं, ऐसा ही जुनून सबमे जरुरी है, वैसे लोगों के लिए ये कुछ नया है| आजतक पुरूष राजनीतिक रैलियों और महिलाएं कलश यात्राओं  में निकलती रही हैं, देश के लिए गैर राजनीतिक रूप में बाहर आने में थोडा  समय लगेगा | देश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध बन रहे माहौल को देखकर तो लगता है कि अब इस देश में कोई भी भ्रष्टाचारी चैन से नहीं सो सकेगा | आमीन !

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