Rang Manch Saj Gaya Hai
इस दिन का पूरे देश को बेसब्री से इंतज़ार था, इधर लोकसभा में लोकपाल बिल पेश हुआ उधर अन्ना और उनकी टीम ने कैमरे के सामने बिल की प्रतियों को जलाकर सांकेतिक रूप से सरकारी लोकपाल बिल के प्रति अपनी असहमति प्रकट की | यह बड़ी विचित्र बात है कि लोकपाल बिल अन्ना हजारे द्वारा ४ अप्रैल को किये गए अनशन की वजह से ही पुनर्जीवित हुआ है और उनकी टीम, सरकार के मंत्रियों के साथ मिलकर इस बिल को सही ढंग से बनाने हेतु ४ माह से सरकार के साथ बैठकें कर रही थी और ये लोग ही इस बिल को जला रहे हैं | जलाना भी चाहिए, अरविंद केजरीवाल ठीक कहते हैं कि इस देश में कोई सरकार नहीं है क्योंकि वो देश के काम आने को तैयार ही नहीं है | अन्ना और उनकी टीम ने प्रत्येक मंच पर अपनी बात रखी पर सरकार ने हर स्तर पर टीम अन्ना पर लांछन लगाकर एक अच्छे लोकपाल बिल की भ्रूण हत्या करने की कोशिश की, यह जानते हुए भी की १२१ करोड़ हिन्दुस्तानी बच्चे नहीं हैं और सब इनकी चालाकियां समझ रहे हैं |
सुषमा स्वराज का लोकसभा में दिया गया तर्क पूर्णतः सत्य है कि जब कैबिनेट मंत्री लोकपाल के दायरे में हैं तो प्रधानमन्त्री क्यों नहीं ? सरकार कहती है कि टीम अन्ना द्वारा कि गई मांग संविधान के खिलाफ है अतः प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में नहीं रखा जा सकता है जो कि सरासर गलत है | प्रधानमंत्री सीबीआई की जांच के दायरे में आते हैं मतलब उनपर भ्रष्टाचार का मुकदमा चलाया जा सकता है और दूसरा संवैधानिक तथ्य यह है कि भारत का संविधान यह कहता है कि प्रधानमंत्री मंत्रियों में प्रथम है न कि मंत्रियों से ऊपर| साथ ही, मंत्रीमंडलीय उत्तरदायित्व का सिद्धांत भी यही कहता है कि यदि एक मंत्री पर भी आरोप सिद्ध हुआ तो सबकी छुट्टी होगी अर्थात मंत्रिमंडल में सभी समान हैं , ना कोई बड़ा है न कोई छोटा है | तो फिर प्रधानमंत्री लोकपाल के दायरे में होने ही चाहिए क्योंकि राजा ही भ्रष्ट होगा तो उसके अधीनस्थ से आप ईमानदार होने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं |
कांग्रेस की हालत खिसियानी बिल्ली जैसी हो गई है, लाख कोशिशों के बावजूद वह बाबा रामदेव और टीम अन्ना को नीचा नहीं दिखा पाई है | खुद सोनिया गाँधी की लोकप्रियता घट रही है और उनपर से जनता का विश्वास कम हो रहा है | ऐसे में हमारे मौनी बाबा माननीय प्रधानमंत्रीजी और राहुलजी कैसे अन्ना, देश, और विपक्ष को संभालेंगे यह तो वही जानें | देखिये, राजनीति के रंगमंच पर और क्या-क्या होना है ? भ्रष्टाचार पर लड़ाई आर-पार की होनी चाहिए ताकि जनता के धन का सदुपयोग हो और निचले तबके को सरकारी धन से जीवनोपयोगी मदद मिल सके |
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