My Best Friend
काफी दिनों से सोच रही थी कि दोस्तों का त्यौहार आ रहा है उसके लिए क्या विशेष लिखूं , किसके बारे में लिखूं ? पर कुछ ख़ास समझ नहीं आया | आज मेरी इस समस्या का समाधान कुदरत के पास था, इतना प्यारा मौसम, इतनी बारिश, सड़को की तरह लबालब भरी मुस्कराहट ने कहा, कि मेरा बेस्ट फ्रेंड तो ये मौसम है, प्रकृति है जिसने मुझसे कभी कुछ नहीं लिया, हमेशा ही दिया | पर, कहते हैं ना कि एक हाथ दे और, एक हाथ ले | अब प्रकृति वह नियम अपनाने लगी है | वह हमें यह बताने लगी है कि उसके देने की भी एक सीमा है और हमें इस सीमा का आदर करना होगा और जो हमें उपलब्ध है उसका विवेकपूर्ण प्रयोग करना होगा |
मेरी बेस्ट फ्रेंड ने जन्म लेते ही मुझे स्वच्छ श्वास दी ताकि मैं स्वस्थ और जीवित रहूँ | स्वच्छ जल दिया ताकि मैं प्यासी ना रहूँ और बीमार भी ना रहूँ | स्वच्छ खाना दिया ताकि मैं हृष्ट-पुष्ट रहूँ और अच्छी तरह विकास करूँ | इस तरह इस करुणामयी प्रकृति कि गोद में मैं अनेक खेल खेलती रही | जब थोड़ी बड़ी हुई तो मुझे बगीचा लगाना, सुन्दर क्रम में पौधों को जमाना, फूलों के सुन्दर गुलदस्ते बनाना बहुत अच्छा लगता था | बहुत ख़ुशी होती थी ये दिखाकर कि मैं कितनी अच्छी कलाकार हूँ | मुझे बोनसाई बहुत अच्छे लगते हैं हालाँकि मैंने कभी इस विधा का प्रयोग नहीं किया क्योंकि, मुझे इसकी पद्धति पसंद नहीं है | क्यों हम किसी प्राणी की जड़ काट दें ताकि वो बड़ा ना हो पाए ? हमें किसी को बौना करने का क्या अधिकार है ?
इस दौरान मुझसे एक गलती हो गई, मैंने प्रकृति को प्यार तो किया, सराहना भी दी परन्तु उसका ख्याल रखना भूल गई | प्रति वर्ष, वर्षा का पानी यूँ ही बर्बाद होता रहा और मैंने पानी के संरक्षण के कोई प्रयास नहीं किये जबकि मैं लगातार अखबारों में इस विषय पर शोध पढ़कर खुद को अप-टू-डेट रखती थी | मुझे पता है कि अशोक के पेड़ दिखने में सुन्दर हैं परन्तु, भारत के उष्ण कटिबंधीय वातावरण को देखते हुए यहाँ घने छायादार वृक्ष लगाने चाहियें | परन्तु, आज तक मैंने अपने मोहल्ले वालों के सामने यह तर्क प्रस्तुत नहीं किया है जिससे बगीचे में लगे अशोक के वृक्षों का स्थान छायादार वृक्ष लेलें ताकि गर्मियों में हमें थोड़ी कम गर्मी सहनी पड़े | मैं बाजार में उपयोग होने वाले प्लास्टिक के थैलों कि जगह रिसायकल किये हुए बैग के प्रयोग की हिमायती हूँ परन्तु ऐसे बैग तैयार करने कि एक भी योजना पर आज तक कोई कार्य प्रारंभ नहीं किया है |
इन सबके बावजूद, कुछ कार्य मैंने पर्यावरण की रक्षा हेतु किये हैं जिनकी वजह से मैं शर्मिन्दा होने से बच सकती हूँ जैसे, मैं पानी की बचत करती हूँ, प्लास्टिक के बैग का प्रयोग बहुत कम करती हूँ और सड़क पर जाम की स्तिथी में गाडी का इंजन बंद कर देती हूँ | पर इतना काफी नहीं है, लगातार बदलता मौसम, कभी बाढ़ तो कभी सूखा, यह इंगित करते हैं कि कुछ गड़बड़ है | केवल प्रकृति को पूजने और भोगने से काम नहीं चलेगा , हमें प्रकृति के बचाव हेतु ऐसे कदम उठाने होंगे ताकि हम, और आने वाली पीढियां मरते दम तक चैन कि सांस ले सकें | ये कदम साधारण से लेकर अति साधारण तक हो सकते है |
यहाँ कुछ उपाय साझा करना चाहती हूँ जिससे हमारे पर्यावरण को स्वच्छा रखने में आपको मदद मिल सके -
- चूहे पकड़ने के लिए जाल/बोरे का प्रयोग करें ना कि चूहे मार दवा का |
- खिडकियों में जाली लगायें ताकि कीटनाशक का कम प्रयोग करना पड़े |
- कपड़ों को गुनगुने साबुन पानी में भिगाकर वोशिंग मशीन में डालें और गर्म तापमान पर सेट ना करें |
- पेड़ों और घास में सुबह जल्दी पानी डालें ताकि ज्यादा पानी उपयोग हो सके वाष्पोत्सर्जन के पहले |
- एक साथ कई काम लेकर बाजार जाएँ ताकि बार-बार वाहन का प्रयोग ना करना पड़े |
- अपना काम पैदल जाकर करें , शाम को टहलना भी हो जायेगा |
- घर गर्म होने के पहले ही शीतलक प्रारंभ कर दें ताकि लू चलने के पहले घर ठंडा हो जाये और पंखे से ही काम चल जाये |
- सब्जी के बचे हुए छिलके और धोवन का पानी फेंकने की बजाये पीछे की क्यारियों में डाल दें |
- अपने इलेक्ट्रोनिक सामान को स्टेंड-बाय मोड में ज्यादा देर तक ना छोड़ें |
- जहाँ तक हो सके कच्चा भोजन खाएं , ज्यादा पका भोजन वैसे भी कम पौष्टिक होता है |
इसके अलावा आप ऐसी संस्थाओं को आर्थिक मदद कर सकते हैं जो पर्यावरण संरक्षण हेतु प्रतिबद्ध होकर कार्य करती हैं | भारत में प्राचीन काल से ही वसुधैव कुटुम्बकम की भावना पाई जाती है अतः वृक्ष लगाने के लिए किसी विशेष अवसर या जगह की प्रतीक्षा ना करें , जहाँ सूखा दिखे वहां वृक्ष लगाकर कुछ महीने उस वृक्ष का ख्याल रखें तत्पश्चात वह वृक्ष स्वयं ही अपनी देखभाल कर लेगा | हमें जितना हो सके उतना ही उर्जा का संरक्षण करना चाहिए और अपनी बेस्ट दोस्त का ख्याल रखना चाहिए | इट्स कूल | इसकी गोद में जन्मे, इसकी गोद में सो जायेंगे, पूछती है धरती हमसे, हम इसे क्या देकर जायेंगे ? मेरी तरफ से, देखभाल, क्योंकि इस मृदुल पवन ने मेरे उखड़े ह्रदय को सान्तवना दी है, विशाल हिमालय ने ऊँचा संकल्प दिया है, लहराती नदिया ने मुश्किल में भी राह बनाकर चलना सिखाया है और धरती ने सहना सिखाया है, पेड़ों ने 'देना' सिखाया है, पुष्पों ने महकना सिखाया है | क्या-क्या नहीं दिया है मेरी बेस्ट फ्रेंड ने मुझे, अब मुझे भी रिटर्न गिफ्ट देना है , इससे पहले कि मेरी बेस्ट फ्रेंड मुझसे हमेशा के लिए नाराज हो जाये |
Good thought
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