यहाँ इंसान की कोई क़द्र नहीं

कल समाचारों में ब्रिटेन में हो रहे दंगो  का समाचार देखा, साफ़  नजर  आ  रहा  था  कि  दंगाई  कोई  सभ्य  लोग या आन्दोलनकारी नहीं हैं अपितु , चोर  और  गुंडे  हैं जो  लूट  रहे हैं अपना  ही  देश, कैमरों के सामने | उसके  बाद  ब्रिटेन  के  प्रधानमन्त्री  डेविड केमरोन का  बयान  भी  सुना, उन्होंने  कहा, " ये  लोग  ये  ना  समझें  कि  हम जो चाहे वो कर सकते हैं, कुछ  नहीं  होगा, इन्हें  इस  दंगे  के  परिणाम  भुगतने  होंगे  | ब्रिटेन  में  एक  तबका  बीमार  हो  गया  है  | " ब्रिटेन में हुई पूरी घटना मैं भारत  की जनता और प्रशासन के सन्दर्भ  में  देखती  हूँ  तो  लगता है  कि हम  कितने  गिर  चुके  हैं | इस बात का अहसास और बढ़ जाता है कि क्या जनसंख्या अधिक होने का मतलब यह है कि हमें इसकी क़द्र करने की कोई जरुरत नहीं है ?


कल  पुणे  में  गैस  पाइप  लाइन  के  लिए  जमीन  अधिग्रहण  का  विरोध  कर  रहे  किसानों  के  ऊपर  पुलिस  ने  गोलियां  दाग  दीं  और  तीन  किसानों  की  जान  ले  ली | पुलिस  कहती  है  कि ये  सब  उसने  आत्मरक्षा  के  लिए  किया, कमर  से  ऊपर  गोली  मार  दी, आत्मरक्षा  के  लिए ? खैर, सच कैमरों में कैद है और पुलिस अपने तीन अधिकारीयों को सस्पेंड कर अपना बचाव कर रही है परन्तु इससे उन किसानों की जान वापस नहीं लाई जा सकती है | हमारे  न्यूज़  चैनल  कह  रहे  हैं  कि लन्दन  तो  पढ़ा - लिखा  देश  है, वहां  दंगाई  कैसा  व्यवहार  कर  रहे  हैं, देखिये |  क्या आप  जानते  हैं कि  ब्रिटेन के  आठ  शहरों  में  फ़ैल  चुके  दंगो  को  देखते  हुए  सरकार  ने क्या किया? उन्होंने  कोबरा मीटिंग  की  ताकि  ये निर्णय लिया जा सके कि पुलिस  को  दंगाइयों  पर पानी की  बौछार  करने  और 'प्लास्टिक' की  गोलियां  दागने  का  अधिकार  दिया  जाये  या  नहीं जो  कि ब्रिटेन के  इतिहास  में पहली  बार  होगा | हमारे  हुक्मरान  होते  तो  कहते, दंगो  के पीछे, पकिस्तान का  और  विपक्ष  का  हाथ  है, मारो  सबको, जो  सामने  दिख  जाये | क्या ये व्यवहार शोभा देता है भारत को ? क्यों  नहीं  जनाब, हम  हैं  भी  तो १२१  करोड़, हद  से  ज्यादा, गाजर-मूली  से  भी गए  बीते, मारो | 

भारत  में  आज  जैसे  हालात  हैं, सब  चिंतित  हैं  कि  कहीं  कोई  अनहोनी  ना हो जाये  | बापू  ने  बार-बार  कहा था कि , जबतक  जनता  शांति  और  अहिंसा का मतलब  नहीं समझ जाती, मैं आन्दोलन नहीं करूँगा| आज अन्ना हजारे को भी यही बात ज्यादा दृढ़ता से कहनी चाहिए क्योंकि जैसे हमले लगातार सरकार सिविल सोसायटी के सदस्यों पर कर रही है उसे देखते हुए अंदेशा है कि  कल को देश पैसे से नाचने वाले गुंडों के हवाले न हो जाये | ऐसे में हर देशवासी का फर्ज होगा कि वह आन्दोलन में शरीक होने के साथ ही शरारती तत्वों पर कड़ी नजर रखे ताकि सरकार, धारा १४४ का प्रयोग ना कर  पाए  और देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने का ऐसा पावन अवसर हमारे हाथ से ना फिसल जाये | आखिर हम १२१  करोड़ दिल-दिमाग और २४२  करोड़ हाथ  हैं | हम चाहे तो क्या नहीं कर सकते ? सरकार भले सत्ता के मद में चूर हो पर हम,  अपनी क़द्र जानते हैं और सरकार को भी यह समझा सकते हैं कि वह हमें अब और नहीं ठग सकती है |   जब स्टोर्स की लूट पर गोलियां चलवाई जा सकती हैं तो पूरे देश कि संचित निधि लूटने वालों के खिलाफ मुहीम क्यों नहीं चलाई जा सकती है ? हमें आवश्यकता नेताओं की है पर,  ये ही लोग हमारे नेता बने ये अनिवार्य नहीं है |



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