We can change !!
It is Now or Never!! भारत देश विश्व पटल पर सदैव एक विशेष अहमियत रखता है . यह एक ऐसा देश है जो मानव इतिहास के किसी भी काल में हाशिये में नहीं रहा . ऐसा माना जाता है की चूँकि भारत माने इंडिया , प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है इसलिए यहाँ मानव अपनी उदरपूर्ति के साथ -साथ आध्यात्मिक उन्नति भी कर पाया क्योंकि उनके पास प्रचुरता से खाद्य सामग्री उपलब्ध थी और उनके पास ईश्वर और प्रकृति के रहस्यों को समझने का भरपूर समय उपलब्ध रहा होगा . भारत आदिकाल से ही अनेक संस्कृतियों का सम्मिश्रण रहा है और इस प्रकृतिप्रेमी देश ने प्रकृति के रचनात्मक रूप से लेकर विध्वंसात्मक रूप तक सभी की पूजा की है और प्रकृति के सभी रूपों को आदर दिया है .
यह कोई साधारण बात नहीं है की इतने धर्म और सम्प्रदाय एक ही भूखंड पर समरसता से रह रहे हैं और इतने वर्षों में भी हमारी 'वसुधैव कुटुम्बकम ' की धारणा में कोई परिवर्तन नहीं आया है . इस धारणा के पीछे जो मूल भाव है वह यह है की हम सब एक ही डोर से बंधे हैं और हमें सबके साथ सामान व्यवहार करना चाहिए . ऐसे में आवश्यक होगा की हम केवल भारतीय होने की औपचारिकता वोट देकर ही नहीं निभा दे बल्कि भारत की प्रमुख समस्याओं पर ध्यान देकर उन्हें दूर करने का प्रयास करें . तर्क यह है कि अगर हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा ? हम कब तक यही कहते रहेंगे कि भ्रष्टाचार , आतंकवाद , साम्प्रदायिकता को ख़त्म नहीं किया जा सकता है और आज के परिप्रेक्ष्य में हमें इसी तरह जीने की आदत डालनी होगी . यह सच नहीं है , सच तो यह है कि प्रत्येक काल में आततायी हुए हैं और उन्होंने अच्छाई की परीक्षा ली है .
अपने स्तर पर मैंने भी कुछ समस्याओं का सामना किया है और कुछ राष्ट्रिय समस्याओं से निपटने में व्यक्तिगत रूप से सफलता प्राप्त की है हालाँकि समस्या आने पर जज्बाती होकर अन्याय के खिलाफ बढ़ तो जाती थी पर आज सोचती हूँ तो लगता है कि वो छोटा सा कदम था तो परन्तु था बहुत जरुरी . आज के हालात में एक प्रमुख समस्या रोज ही सुनने में आती है वो है 'eve teasing ' जो बढ़कर 'बलात्कार' का रूप लेती जा रही है . जितनी लडकियां अडवांस हुई हैं उतनी स्पीड से लड़के बदमिजाज हुए हैं . Eve teasing के पीछे प्रमुख तर्क यह दिया जाता है कि लड़कियां कपडे ढंग से पहनती नहीं हैं जोकि पूरी तरह से गले नहीं उतरता है . अगर दोष कपड़ों का ही होता तो नाबालिक बच्चियां Rape का शिकार नहीं होती .
जब मैं इलाहाबाद कि एक कोचिंग में पढ़ती थी तब अकेले ही पैदल कोचिंग जाया करती थी . रास्ते में एक कॉलेज पड़ता था जिसमे कुछ लड़के सुबह के 8 बजे चाय पीने कॉलेज के बाहर खड़े रहते थे , उनमे से एक लड़का रोज मुझे comment paas करता था . एक दिन मैंने ठान लिया कि आज इसे चुप कराकर ही रहूंगी , जैसे ही उसने मुझे छेड़ा मैं पलटी और उन लडको की तरफ बढ़ने लगी ....आप यकीन नहीं करेंगे वो लड़का ऐसा सरपट भागा कि मुझे ही हंसी आ गई और अभी भी मुझे वो सब याद करके हंसी आ रही है . ऐसा नहीं है कि हमें बगैर आगे -पीछे सोचे लड़ाई में कूद जाना चाहिए पर हर समय सहना गलत intentions को बढ़ावा दे सकता है .
ऐसा ही एक वाकया हुआ रायपुर में , जब मैं अपनी school की marksheet की duplicate copy निकलवाने MSM(माध्यमक शिक्षा मंडल ) गई . वहां का clerk पूरे CG में famous है अपनी भ्रष्ट आदतों के लिए . उसे मैंने कितनी बार कहा कि please मेरा काम आज ही कर दो मैं बिलासपुर से आई हूँ पर वो मेरी एक ना माना और 500rs की demand की ताकि ऊपर तक सबको set करके 5 बजे मुझे मेरी मार्कशीट दे देगा . But he was an ultimate fraud. पैसा लेकर भी काम लटका दिया . मुझे फिर दुबारा जाना पड़ा मार्कशीट लेने पर इस बार भी वो घुमाने लगा तो मैं सीधे ऑफिसर के पास चली गई . वहां पता चला की मेरी मार्कशीट मिल ही नहीं रही है , तीन -तीन लोग धुंध रहे थे , मैं भी शामिल हो गई उसमे पर कुछ पता नहीं चला . वहां बैठे -बैठे पता चला कि मार्कशीट हाथों -हाथ दे दी जाती है अगर direct लेने पहुँच जाओ अन्यथा केवल एक हफ्ते ही लगते हैं मार्कशीट घर पहुँचने में . तब में ऑफिसर को clerk के बारे में बताया और यह भी कहा कि मेरे पास CBI का भी नंबर है जो इस प्रकार के भ्रष्टाचार को रोकने हेतु उन्होंने सबको SMS कर दिया है . इतना सुनना था कि सारे लोग अलर्ट हो गए और 5 min में ही मेरी मार्कशीट उसी कमरे में बरामद हो गई और कोल्ड ड्रिंक भी offer हुई .
कहने का मतलब ये है कि हर समय परिस्थिति के सामने सर झुकाना और ये सोचना कि मैं क्यों बोलूं समस्या को बढ़ता है . अगर हम अपने स्तर पर प्रयास करें तो बहुत सी समस्याएँ पैदा ही न हों . जहाँ तक उपरी स्तर पर अपराधियों की साठ -गाँठ कि बात है तो मेरा विश्वास है कि उस स्तर पर भी बुराई के समाप्ति के लिए सक्षम लोग हैं और हमें ऐसे लोगों का अपने स्तर पर साथ देना चाहिए . कहते हैं न कि बुराई तभी बढती है जब अच्छाई मूक हो जाती है . मेरा मानना है कि Corruption के खिलाफ हो रहे आन्दोलनों में श्री अन्ना हजारे और बाबा रामदेव का साथ देकर हम उन लोगों का हौसला बढाएंगे जो सरकारी तंत्र में इसलिए फिट नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि वो अकेले पड़ गए हैं . हमें एक मंच पर आकर खड़े होना होगा ताकि देश के और इंसानियत के दुश्मनों को ये संकेत मिले कि अब कोई ईमानदार व्यक्ति अकेला और असहाय नहीं है .
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