Besharm Doctor

आंध्र प्रदेश के एक जिले खम्मम में एक १६ वर्षीय किशोर 'बाबू' इंसानी लापरवाही और असंवेदनशीलता का शिकार हो गया. एक महीने पहले बाबू को एक पागल कुत्ते ने काट लिया जिसके कारण उसे अस्पताल ले जाया गया परन्तु खम्मम  के अस्पताल में डॉक्टर ने रेबीज़ का इंजेक्शन न होने का बहाना बनाकर उसे केवल एंटी-बायोटिक का इंजेक्शन लगाकर लौटा दिया.  डॉक्टर की इस लापरवाही की वजह से बाबू का सही समय पर इलाज नहीं हो पाया और आज बाबू की मौत हो गई.
गाँव के लोगों का कहना है कि बाबू के पिता नरसिम्हा और माँ सविताराम्मा के पास रेबीज़ का इंजेक्शन खरीदने के लिए ४०० रुपये नहीं थे इसलिए डॉक्टर ने बहाना बनाकर उन्हें चलता कर दिया. बेटे के इलाज के लिए माता-पिता दर-दर भटकते रहे पर किसी भी अस्पताल में बाबू को एंटी-रेबीज़ इंजेक्शन नहीं लगाया गया. पैसे के भूखे डॉक्टर बाबू को तडपता देखकर भी नहीं पसीजे और अंततः बाबू की हालत इतनी खराब हो गई कि उसे सुधारना भी नामुमकिन हो गया. 
बात सिर्फ इतनी ही नहीं है, आज ही आंध्र प्रदेश के एक मंत्री श्री रामी रेड्डी ने बाबू कि माँ को टीवी के सामने रुपये देकर चुप कराने की कोशिश की जैसे वो कह रहे हों कि जान से बढ़कर रुपये हैं, रख लो . वहीँ राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डी एल रविन्द्र रेड्डी का कहना है कि राज्य में रेबीज़ के इंजेक्शन पर्याप्त मात्र में हैं, इस बात की तस्दीक खम्मम के जिला कलेक्टर सिद्धार्थ जैन ने भी की है. जबकि सच यह है कि पिछले दिनों राज्य में रेबीज़ के कारण कई जाने जा चुकी हैं और उसकी वजह रेबीज़ के इंजेक्शन की राज्य में अनुपलब्धता ही है. 
बाबू तो चला गया पर यह सवाल जरुर राज्य शासन के लिए छोड़ गया है कि क्या दवा का स्टॉक होना ही पर्याप्त है या उसका सही समय पर प्रयोग करने की जिम्मेदारी भी डोक्टरों को सिखाने की जरुरत है. आश्चर्य की बात है कि इंसान को इंसान होना सिखाने की जरुरत है इस देश में. अब कलेक्टर साहब दोषी डॉक्टर पर कार्यवाही करेंगे जबकि बाबू का वापस आना नामुमकिन है. सिर्फ जिला अस्पताल ही क्यों, उन समस्त डॉक्टरों की डिग्री रद्द कर देनी चाहिए जिन्होंने बाबू को इंजेक्शन देने से मना किया था. जब डॉक्टर के अन्दर इंसानियत ही नहीं है तो उसका ज्ञान बेकार है . 

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