Bangal, TN, aur Kerala me badlaav ke maayane

Assembly Elections 2011
देश में हुए ताजा चुनावों ने यह साबित कर दिया है की अब पुरानी नेतागिरी नहीं चलेगी. जनता ने विकास को चुना है की नहीं ये तो वक़्त ही बताएगा परन्तु यह तो पता चल ही गया है की अब भ्रष्टाचार एक मिनट भी नहीं चलेगा. तमिलनाडु की भावी मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कह दिया है की उनकी पहली चुनौती भ्रष्टाचार नहीं होने देना रहेगी साथ ही वो डेढ़ सालों में सभी योजनायें पूरी करवाएंगी. यह हो पायेगा की नहीं ये तो नहीं पता परन्तु राजनेताओं को यह समझ आ जाये की मनमानी नहीं चलेगी यही बड़ी बात है. उम्मीद है की जयललिता बदला लेने की जगह विकास पर ध्यान देंगी क्योंकि उनके चिर प्रतिद्वंदी को उनके ही राजा ले डूबे हैं. 

इस चुनाव में सबसे बहुप्रतीक्षित नतीजे आये हैं पश्चिम बंगाल से. ३४ साल पुराना किला ढहा है वाम का. ये ममता बैनर्जी ही हो सकती हैं जो इतनी लम्बी तपस्या कर बंगाल की जनता को आपनी आवाज सुनाने का मौका दे सकीं. उन्होंने हर तरह का प्रयास किया ताकि वो बंगाल की जनता का दिल जीत सकें और वाम को हरा सकें. निश्चित रूप से उन्हें राज्य के उच्च विकास के लिए केंद्र का समर्थन हासिल है जो सबसे महत्वपूर्ण बात है. ममता पुरानी कद्दावर नेता है और अच्छे से जानती हैं की कब कौन सा पैंतरा चलना चाहिए. 

असम व केरल में कांग्रेस को जीत मिली है परन्तु यह उतनी दमदा नहीं हिया जितनी की इन दो महिलाओं की जीत. इस तरह महिलाओं के राजनीति में आने से यह उम्मीद बांधती है की हमारे देश की राजनितिक व्यवस्था जल्द ही महिलाओं की बेहतरी के लिए स्थाई समाधान ढूंढेगी और देश को आगे ले जाने में मदद करेगी. इन नतीजों को एंटी इन्कम्बंसी भर नहीं मानना चाहिए, अब जनता परिवर्तन चाहती है अपनी परिस्तिथियों में ना की केवल पद पर बैठे चेहरों में . 





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