Mamta`s oath

ममता बैनर्जी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की शपथ लेकर ना केवल महिलाओं वरन समस्त स्वाभिमानी लोगों का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है. ७ जून १९९३ को कोलकाता के सी एम् हाउस में हुए अपने अपमान का बदला बेहद लोकतान्त्रिक तरीके से लेते हुए उन्होंने जनता को यह सन्देश दिया है कि यदि इरादे बुलंद हों तो निरंकुश और शक्तिशाली शासन भी हिलाया जा सकता है.

ममता सदैव जनता कि भलाई हेतु निर्णय लेती रहीं और उनके हक कि लड़ाई लडती रहीं. आज उन्हें अपने जुझारूपन का फल मिल गया है. उनसे सभी को बहुत उम्मीदें हैं, आज तक के उनके राजनीतिक सफ़र को देखते हुए लगता है कि वो आगे भी जनता के हित में ही फैसले लेंगी. 

ममता बैनर्जी कि सबसे बड़ी परीक्षा अब है. उन्हें ना केवल विकास करना है बल्कि अपने संगठन को सत्ता से मिलने वाले दंभ से भी बचाना है. यह आसान नहीं है. इसके लिए ममता को लगातार जनता के सीधे संपर्क में रहना होगा ताकि जनता उनसे अपने दिल कि बात बेझिझक कह सके. 

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