Fundamental Right of Freedom

आज़ादी ऐसा शब्द है जिसके मायने हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होते हैं. किसी के लिये आज़ादी का मतलब अपने देश को परदेशियों की हुकूमत से मुक्त करना है तो किसी के लिए अपने ही व्यक्ति के कुशासन से देश को मुक्त करवाना आज़ादी है. किसी के लिए मनपसंद कार्य करने की छूट आज़ादी है तो किसी के लिए मनपसंद जीवनसाथी चुनना आज़ादी है. कहने का मतलब यह है की आज़ादी परोक्ष भावना है जो शहर, गाँव, उच्च वर्ग-निम्न वर्ग, स्त्री-पुरुष के अंतर के अनुरूप निर्धारित होती है.
भारत में आज़ादी को व्यापक रूप में देखा गया है अतः  हमारे संविधान में ना केवल संविधान की प्रस्तावना में स्वतंत्रता का उल्लेख किया गया है अपितु अनुच्छेद १९ के तहत स्वतन्त्रता को प्रत्येक नागरिक का मूल अधिकार घोषित किया गया है. जिसके अंतर्गत ६ स्वतंत्रताएं प्रत्येक व्यक्ति का मूल अधिकार है. ये हैं, विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अस्त्र-शस्त्र रहित शांतिपूर्ण सम्मेलन की स्वतंत्रता, समुदाय एवं संघ निर्माण की स्वतंत्रता, भारत में भ्रमण, निवास एवं व्यवसाय की स्वतंत्रता. स्पष्ट है की मानव की मूल प्रकृति को देखते हुए भारत का संविधान अपने प्रत्येक नागरिक को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर प्रदान करता है. 
यह सच है की किसी भी व्यक्ति के जीवन से ये स्वतंत्रताएं कम कर दी जाएँ या हटा दी जाएँ तो वह व्यक्ति गुलामों की श्रेणी में आ जाएगा. ये सभी स्वतंत्रताएं ना केवल देश के स्तर पर अपितु व्यक्तिगत स्तर पर भी आवश्यक हैं. एक व्यक्ति जब तक अपने आपको अपने स्वरुप के अनुरूप प्रकट नहीं कर लेता तब तक उसे अपना जीवन बेमानी लगता है. सोने के पिंजरे में बंद चिड़िया भी खुले आकाश के स्वप्न देखती है यह जानते हुए भी कि बाहरी जीवन दुष्कर होगा. यह बात अलग है कि कुछ परिंदे कभी-कभी जान बूझकर पिंजरे में रहते  हैं क्योंकि उन्हें अपने मालिक से अनन्य स्नेह हो जाता है और पिंजरे में रहना उन्हें संग लगता है ना कि परतंत्रता. 
यही भारतीय दर्शन का भी आधार है जिसके तहत गुजरात हाई कोर्ट ने पिंजरों में कैद पक्षियों को मुक्त करने हेतु दायर याचिका में अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि सभी पक्षियों को खुले आकाश में उड़ने का अधिकार है अतः उन्हें पिंजरे में रखना उनके स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन है. सभी स्वतंत्रता समर्थक तथा पक्षी प्रेमियों के लिए ये बेहद प्रसन्नता का क्षण क्योंकि सभी ४९४ पक्षियों को पिंजरे से मुक्त कर दिया गया है. स्पष्ट है कि स्वतंत्रता केवल मानव नहीं अपितु सभी चराचर जीवों का मूल अधिकार है और हमें सभी के स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करना चाहिए.

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