फिर वही सवाल ?

आपने कोचिंग क्यों खोली आप तो ऑफिसर नहीं हो...
हमेशा की तरह वही सवाल .. आपने कोचिंग क्यों खोली आप तो ऑफिसर नहीं हो....  मैं बोर हो चुकी हूं बता बता कर कि मेरे बच्चे ऑफिसर है और ऐज़ अ टीचर... यही मेरी जॉब है ... पर वह दो औरतें कहां मानने वाली थीं...  मुझे लगा वह बहुत ज्यादा फ्रस्टेटेड थीं और इस बात से काफी परेशान थीं कि पुरुष उनसे ज्यादा मुझ पर ध्यान दे रहे थे। वह हर कोशिश कर रही थी मुझे नीचा दिखाने की.... पक पक पक पक पक पक ...दिमाग खराब हो गया था मेरा.. बस फिर मैंने मौन व्रत ले लिया और टीटी के आने का इंतजार करने लगी.... 😑😑😑

टीटी के आते ही मैंने कहा ..... प्लीज मेरी जगह चेंज कर दीजिए .... ट्रेन में बैठी दोनों सहयात्रियों ने मुझे बड़े गुस्से से घूर कर देखा और TT ने उन्हें गुस्से में देखा ...... 1 सेकंड को लगा कि मैंने गलती की ... मुझे धैर्य दिखाना था... पर जल्दी ही अपनी बीमार बेटी को लेकर मैं दूसरी जगह बैठने चली गई । यहां अच्छे लोगों का साथ मिला और मेरी बेटी भी खुश होकर बात करने लगी 🐤🐤🐤 वहाँ कॉलेज के लड़के लड़कियां थे आपस में हंसी-खुशी बात कर रहे थे और मुझसे भी टिप्स लिए गए ..पीएससी क्लियर करने के .. that's so nice ..😊😊😊 👍👍👍

कहने का मतलब यह है कि हर समय बेवकूफों को झेलना कोई जरूरी नहीं है । आप अपने बैठने की जगह भी बदल सकते है क्योंकि कुछ लोग तो सुधारने से रहे...  हम क्यों अपना समय खराब करें उनपर... 😏

 कोचिंग खोलने के बाद से ऐसी घटनाएं बहुत बढ़ गई हैं मेरे साथ जिसमें औरतें मुझे बहुत बुरी तरह टारगेट करती हैं और उनके मूर्ख मित्र भी चले आते हैं मुझे नीचा दिखाने ।।।।। क्या कर सकते हैं ...कुछ नहीं कर सकते..   उस वक्त को बस बीत जाने देते हैं बस। परंतु कालांतर में देखने में आया कि वह औरतें भस्मासुर साबित हुईं और बुरी तरह बेइज्जत करके अपने ही ग्रुप से निकाल दी गयीं ।  हाँलाकि कुछ बड़ी चालाक होती हैं...  लगता है उनका बड़ा इंतजाम किया जाएगा... पर यह तो मानना पड़ेगा 'जैसी करनी वैसी भरनी' । आज नहीं तो कल, अपनी जलन अपने ही लिए भारी पड़ेगी क्योंकि अच्छे लोगों का साथ खुद ईश्वर देते हैं।

😇😇😇

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