Main 'Om' nahin bolungi, Main muslim hun !!

मेरी ६ साल की बेटी और उसकी हमउम्र दोस्त ज़ोर से लड़ रहे हैं,"मेरे गुरु का अपमान मत करो, वो सद्गुरु  हैं, हम सबके गुरु " सौम्या ने जोर से चिल्लाकर कहा. वो तेजी से शबनम की तरफ लपकी. शबनम भी कहाँ पीछे हटने वाली थी, ज़ोर से चिल्लाई, " मैं ॐ नहीं बोलूंगी, मैं मुस्लिम हूँ, मैं क्यों बोलूं ॐ ?"  

हा हा हा !!! मुझे जाकर बीचबचाव करना पड़ा. आज ईद की रात है और मुझे अपनी मुस्लिम दोस्तों की याद आ रही है. मेरी स्कूली शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर में और सेन्ट जोसफ कॉन्वेंट स्कूल में हुई है. पहली स्कूल में जहाँ शुद्ध हिन्दू तरीके सिखाये जाते हैं वहीँ कॉन्वेंट स्कूलों में ईसाई धर्म पर ज़ोर रहता है. पहली स्कूल में जहाँ हमने अपने धर्म का पालन करना सीखा वहीँ कॉन्वेंट में हमारा दृष्टिकोण थोडा व्यापक हुआ. हम सभी धर्मों की सहेलियां परीक्षा के समय चर्च जातीं और ईसा मसीह से अच्छे रिजल्ट के लिए प्रार्थना करतीं (पढाई में हमारा कुछ कम ही मन लगता था). 

हम  जब बड़े हुए तो दायरा स्कूल के चर्च से बढ़कर मंदिर, गुरूद्वारे और अन्य चर्च तक भी पहुंचा. मैंने कभी मस्जिद तो नहीं देखी है परन्तु अजमेर में ख्वाजाजी के दरबार जरुर गई थी पापा के साथ. अभी तक याद है, वहां कुछ है, एक शक्ति, जिसे मैंने महसूस किया और मन्नत भी मांगी. 

पर यह सब मैं ६ साल की छोटी-सी बच्चियों को  कैसे समझाउं ? अभी तो बस यह कहकर रोक दिया कि ऐसा नहीं कहते बेटा. उसे अपने हिसाब से चलने दो, और कोई भी चीज जो आस्था से जुडी हो उसे किसी पर थोपो मत. हालाँकि योग और ध्यान का सम्बन्ध अनिवार्य रूप से धर्म से नहीं है. योग और ध्यान मानव के लिए है ना कि किसी धर्म विशेष के लोगों के लिए.

खैर, शबनम हलुवा खाकर प्रसन्न हैं और फुलझड़ियां जलाने के बाद तो प्रसन्नता चेहरे से टपक रही है और घर से विदा होते-होते अपनी महंदी दिखाते हुए इठलाकर सौम्या को ईद  की दावत के लिए अपने घर भी बुलाया है. इस बात पर सौम्या भी गदगद है कि कल उसका अपनी दोस्त के यहाँ न्योता है.

आज देवउठनी एकादशी है और ईद की रात भी, हम दोनों त्यौहार मानते हैं और ज़िन्दगी का दुगुना आनंद उठाते हैं. जहाँ DIWALI में ALI हैं वहीँ RAMJAAN में RAM हैं. आप सभी को ईद की तहेदिल से मुबारकबाद और छोटी दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं !! 



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