ऐंठी ही रहती जिंदगी ...



टूटते  सपने 

जुड़ती  उम्मीदें 

मझधार  में नाव  खेती  जिंदगी  ..



कमी  का  एहसास 

अधिक  का  गुमान

पचड़े  में  पड़ी  जिंदगी ..



कमतर  से मिले  उपहास 

बड़ों से  मिले दुलार 

कठपुतली  सी  झूलती  जिंदगी .... 



भलाई  के  बदले  बुराई 

बुराई  को   मिले  उपहार


ऐंठी ही  रहती  जिंदगी ...



भौतिकता  से  उपजी  जलन 

अपाहिज  का  हौसला  देख  घटती  घुटन 


पाठशाला  में  बैठी  जिंदगी ...




टूटते  सपने 


जुड़ती  उम्मीदें 


मझधार  में नाव  खेती  जिंदगी  ..

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